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दोस्तो बिजनेस का जो तरीका पहले था अब वह तरीका ट्रेंड में नहीं रहा अब का जमाना ई-कॉमर्स का जमाना है और अब हर कोई अपनी शॉपिंग को ऑनलाइन इंटरनेट के जरिए करने लगा है। अब चाहे वह कोई छोटी से छोटी चीज हो या फिर कोई बड़ा सामान इन सभी चीजों को खरीदने के लिए हम ऑनलाइन ही शॉपिंग करते हैं। वर्तमान समय में ऐसे बहुत सारे ई कामर्स बिजनेस साइट हैं जो मिनटों में हमारे हर काम हर खरीददारी को आसान कर देते हैं। ई कामर्स की सबसे अच्छी बात यह है कि इंटरनेट के जरिए आप कहीं पर भी बैठ कर शॉपिंग कीजिए और प्रोडक्ट आपके द्वारा दिए गए पते पर डिलीवर कर दिया जाता है और यही इकॉमर्स बिजनेस कि सबसे बड़ी की यूएसपी है।
दोस्तों ई कामर्स बिजनेस यानी कि इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स वर्तमान समय में बिजनेस का एक ऐसा आधुनिक माध्यम है जो एक साथ बहुत सारे लोगों को अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए मंच देता है और प्रोडक्ट को खरीदने के लिए बहुत सारे ऐसे कस्टमर से भी जोड़ता है जो आपके द्वारा बेचे जा रहे सामान को आसानी से खरीदते हैं। मगर यह सब तभी संभव है जब आपको इ कॉमर्स बिज़नेस मॉडल की अच्छी समझ हो। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं। -
ई कॉमर्स क्या है।

दोस्तों, ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल के बारे में जानने से पहले हमारा यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि आखिर में यह ई-कॉमर्स क्या होता है। आज के समय में हमें सामान लेने के लिए दुकान तक जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। हम घर बैठे कोई भी सामान मंगा सकते हैं। आज के समय में हर सामान एक फोन क्लिक की दूरी पर है। क्या आपने कभी सोचा है कि यह सब कैसे सम्भव हो पाया है? यह सब ई - कॉमर्स की वजह से सम्भव हो पाया है। ई-कॉमर्स को आसान भाषा में यहां कह सकते हैं कि जब हम इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन सामान खरीदते या बेचते हैं तो वह ई-कॉमर्स कहलाता है।
मान लीजिए कि यदि A को टी-शर्ट खरीदनी है, तो वह अपने फोन में ऑनलाइन किसी शॉपिंग साइट पर जाता है और वहां टी-शर्ट सर्च करता है। उसे एक टी-शर्ट पसंद आती है। वह उस टीशर्ट को ऑर्डर कर देता है। डिलीवरी ब्वॉय A को उसके घर उसका ऑर्डर डिलीवर करने आता है। इस तरह A ने घर बैठे टीशर्ट खरीद ली।
यह सब ई-कॉमर्स की वजह से संभव हो पाया। दोस्तों, अमेजॉन और फ्लिपकार्ट आदि सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट हैं। ई - कॉमर्स ने पारम्परिक बिजनेस के तरीके को बिल्कुल बदल कर रख दिया है। ई - कॉमर्स में पेमेंट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन से माध्यम से पेमेंट करना चाहते हैं। आज के समय में बहुत सारी दुकाने ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्मस पर मौजूद हैं।
ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल क्या होता है -

ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए लोगों में इसके प्रति उत्सुकता बढ़ी है। आज बहुत से लोग अपना व्यवसाय ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर शुरू कर रहे हैं। इसके अलावा ऐसे बहुत से लोग जिनका व्यवसाय अभी तक ऑफलाइन संचालित होता था, वह भी उसे ऑनलाइन भी लेकर जा रहे हैं। आज के इस व्यस्त जीवन में लोगों के पास खाली वक्त बहुत कम होता है। उस थोड़े से खाली वक्त में उन्हें बहुत सारे काम करने होते हैं।
ऐसे में ई - कॉमर्स की वजह से लोगों की जिंदगी में कुछ राहत आई है। अब उन्हें सामान खरीदने के लिए दुकान पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। वे अपने दूसरे कामों को करते हुए भी ई-कॉमर्स के माध्यम से अपने लिए सामान खरीद सकते हैं। इसके अलावा ई-कॉमर्स दुकानदारों को भी तमाम सुविधाएं प्रदान करता है। बहुत से ऐसे व्यवसाय जो होलसेल सेलिंग के माध्यम से चलते थे, वे भी अब डायरेक्ट अपने कस्टमर से रूबरू हो पाते हैं। यह सब ई - कॉमर्स की वजह से ही संभव हो पाया है। ऐसे में यह जानना बहुत दिलचस्प होगा कि इ कॉमर्स बिज़नेस मॉडल क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इन सारी बातों के बारे में हम नीचे जानकारी प्राप्त करेंगे।
अगर कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल से बात करें तो b2b, b2c आदि कुछ प्रमुख ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल हैं। इन्हीं मॉडलों पर ई-कॉमर्स का पूरा व्यवसाय टिका हुआ है। दुकानदार अपनी सुविधा के अनुसार अपने पसंद के बिजनेस मॉडल का चुनाव करते हैं और फिर उसी बिजनेस मॉडल पर अपना व्यवसाय चलाते हैं आइये जानते हैं कुछ प्रमुख बिजनेस मॉडल्स के बारे में -
ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल कितने प्रकार का होता है। -

दोस्तों अभी हमने आपको ऊपर बताया कि ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल किसे कहते हैं? अब हम बात करेंगे कि इकॉमर्स बिजनेस मॉडल कितने प्रकार के होते हैं? इन प्रकारों के बारे में हम चर्चा करेंगे। ई-कॉमर्स को अच्छे से समझने के लिए उसके बिजनेस मॉडलों को समझना बहुत जरूरी है। अगर आप को उसके विभिन्न मॉडलों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त नहीं होगी तो आप अपने लिए सही बिजनेस मॉडल नहीं चुन पाएंगे। आइए जानते इकॉमर्स बिजनेस मॉडल के बारे में -
- बिजनेस टू बिजनेस मॉडल
- बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल
- कंज्यूमर टू कंज्यूमर मॉडल
- कंज्यूमर टू बिजनेस मॉडल
- गवर्नमेंट टू बिजनेस मॉडल
- बिजनेस टू गवर्नमेंट मॉडल
- कंज्यूमर टू गवर्नमेंट मॉडल
1 - बिजनेस टू बिजनेस मॉडल -
दोस्तों, ई-कॉमर्स का सबसे पहला प्रकार है - बिजनेस टू बिजनेस मॉडल। इस मॉडल में आप डायरेक्ट कस्टमर को सामान न बेच कर दूसरे किसी अन्य बिजनेस को बेचते हैं। इसको इस तरह समझ सकते हैं कि मान लीजिए A का एक व्यवसाय है, जिसमें वह साइकिल के कलपुर्जे बनाता है। एक दूसरा व्यक्ति B है, जिसका साइकल बनाने का व्यवसाय है। B अपनी जरूरत के हिसाब से साइकिल के कलपुर्जे A से खरीदता है। यहां पर यह बताना बहुत जरूरी है कि B यह सारा सामान A से ऑनलाइन ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से खरीदता है। वहीं A B के व्यवसाय को यह सामान ऑनलाइन ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेचता है।
इस प्रकार यह बिजनेस मॉडल हुआ - बिजनेस टू बिजनेस मॉडल। बिजनेस टू बिजनेस मॉडल में अंतिम कस्टमर कोई व्यक्ति विशेष न होकर दूसरा व्यवसाय ही होता है। इस मॉडल में होलसेल करने वालों को भी सामान की सप्लाई होती है। यह बिजनेस मॉडल बहुत विस्तृत है।
2 - बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल -
आज के समय में यह बिजनेस मॉडल काफी प्रचलित है। इसमें व्यवसाय द्वारा अपना प्रोडक्ट सीधे उपभोक्ता को बेचा जाता है। बीच में होलसेलर, बिचौलिए आदि की कोई भूमिका नहीं होती है। यह मॉडल रिटेल से संबंधित है। इस मॉडल को उदाहरण के द्वारा इस प्रकार समझा जा सकता है।
मान लीजिए कि आप लेंसकार्ट की वेबसाइट पर जाकर अपने लिए एक चश्मा आर्डर करते हैं। यह चश्मा आपके घर डिलीवर कर दिया जाता है। आपका लेंसकार्ट की वेबसाइट पर जाकर चश्मा मंगाना बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल के अंतर्गत आता है। यानि कि हम यह कह सकते हैं कि यहां पर ट्रांजैक्शन बिजनेस और उपभोक्ता के बीच डायरेक्ट होता है, बीच में किसी अन्य की कोई भूमिका नहीं होती है।
3 - कंज्यूमर टू कंज्यूमर मॉडल -
आज के समय में कई ऐसे ई-कॉमर्स वेबसाइट हैं जहां पर आप अपना पुराना सामान या कोई नया सामान भी सीधे उठते ग्राहक को भेज सकते हैं। इस मॉडल में 1 ग्राम ग्राहक को सामान भेज और खरीद सकता है आज के समय में ऐसे तमाम ऐप्स और वेबसाइट जिनके द्वारा यह काम बहुत आसान हो गया है। आप सभी ने OLX का नाम सुना होगा। ओलेक्स एक ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म है। यहाँ लोग नया और पुराना दोनों तरह का सामान बेचते हैं। जिस किसी व्यक्ति को कोई नया या पुराना सामान बचना होता है वह अपने उस सामान को वेबसाइट पर लिस्ट कर देता है।
उसके बाद जिस व्यक्ति को वह सामान खरीदना होता है,वह व्यक्ति सामान बेचने वाले व्यक्ति से संपर्क करके सामान उचित दाम पर खरीद सकता है। मान लीजिए कि आपको अपना पुराना फोन बेचना है तो आप उसे वॉलेट के माध्यम से भेज सकते हैं इसके लिए आपको ओनेक्स पर जाकर को रजिस्टर करना होगा उसके बाद वहां अपने फोन की फोटो आधी डालनी होंगे और डिस्क्रिप्शन लिखना है उसके बाद आप उसको पोस्ट कर दो जो आपका फोन लेना चाहता होगा वह वहां पर आपको मैसेज भेज सकता हूं तो दोस्तों गंजों के पंजों में मॉडल इसलिए कॉमर्स का एक तो जाना मानना और अच्छा मॉडल है।
4 - कंज्यूमर टू बिजनेस मॉडल -
दोस्तों, आप सोच रहे होंगे कि कंज्यूमर टू बिजनेस मॉडल क्या होता है ? कंजूमर टू बिजनेस मॉडल से तात्पर्य है कि जब एक उपभोक्ता अपनी सेवाएं या सामान सीधी बिजनेस को बेचता है। तो यह कार्य और प्रकार कंज्यूमर टू बिजनेस मॉडल के अंतर्गत आता है। इस बिजनेस मॉडल में फोटोग्राफर, राइटर, गायक आदि की सेवाएं आती हैं। अपनी सुना होगा कि एक राइटर को उसके द्वारा लिखी गई बुक के बिकने पर रॉयल्टी दी जाती है। रॉयल्टी से एक निश्चित अमाउंट होता है जो लेखक को उसकी बुक की हर प्रति के बिकने पर दिया जाता है। यह कंजूमर टू बिजनेस मॉडल के अंतर्गत ही आता है।
5 - गवर्नमेंट टू बिजनेस मॉडल -
बिजनेस टू गवर्नमेंट मॉडल - बिजनेस टू गवर्नमेंट मॉडल को इस प्रकार समझा जा सकता है कि मान लीजिए सरकार को किसी स्वास्थ्य केंद्र के लिए कुछ मशीनों की आवश्यकता है, तो वह मशीनों को खरीदने के लिए मशीनों को बनाने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठान से संपर्क करती है। व्यापारिक प्रतिष्ठान से मशीनों को खरीदना गवर्नमेंट टू बिजनेस मॉडल के अंतर्गत आता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि जब सरकार जरूरत की सेवाओं या सामान को किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान से खरीदती है तो वह बिजनेस तो गवर्नमेंट मॉडल के अंतर्गत आता है।
6 - कंज्यूमर टू गवर्नमेंट मॉडल -
कंज्यूमर टू गवर्नमेंट मॉडल आज के समय में ई-कॉमर्स का एक बहुत ही बढ़िया मॉडल है। जैसा कि आपको पता है कि इंटरनेट में लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है। यह आसानी इस मॉडल में देखी जा सकती है। पहले लोगों को सरकारी कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। उन्हें कोई भी प्रमाण पत्र आदि बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। मगर अब सरकार सरकारी योजनाओं और सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध करा रही है। इसकी मदद से लोग घर बैठे अपने फोन के जरिए सरकारी योजनाओं आदि का लाभ ले सकते हैं। यह सेवा कंज्यूमर टू गवर्नमेंट मॉडल के अंतर्गत आती है।
ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल के फायदे -

आज के दौर में ई कॉमर्स अब बहुत विस्तार हो चुका है आजकल हर किसी के पास फोन है। देश के कोने कोने तक इंटरनेट की पहुँच ने ई-कॉमर्स को घर घर तक पहुंचा दिया है आज तो समय में बहुत से लोग ऑनलाइन शॉपिंग करना पसंद करते हैं ई कॉमर्स बिजनेस दुकानदार और उपभोक्ता दोनों के लिए फायदेमंद रहता है। इ कॉमर्स बिज़नेस मॉडल के निम्नलिखित फायदे हैं। -
1. 24×7 सुविधा -
ई - कॉमर्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप कभी भी सामान खरीद और बेच सकते हैं। अगर दुकानों की बात करें तो दुकानों के खुलने और बंद होने का एक निश्चित समय होता है। दुकान बंद होने के बाद आप तभी सामान खरीद पाएंगे जब दुकान दोबारा खुलेगी, जबकि ई - कॉमर्स प्लेटफार्म पर ऐसा नहीं होता है। आप जब चाहे सामान खरीद सकते हैं। ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्म आपको 24×7 सुविधा प्रोवाइड करता है। यही वजह है कि इसे लोगों के द्वारा पसंद किया जा रहा है।
2. भीड़ से निजात -
दुकानों पर सामान लेते वक्त अक्सर भीड़ का सामना करना पड़ता है। खासकर त्योहारों के समय में तो दुकानों में घुसना ही मुश्किल होता है। ऐसे में ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्मस आपको भीड़ से भी निजात दिलाता है, इसमें उपभोक्ता और दुकानदार दोनों को ही भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता है। कस्टमर आराम से कपड़े पसंद कर सकता है और उन्हें खरीद सकता है। दुकानदार के पास जो जो आर्डर आते जाते हैं, वह उन ऑर्डरों को पैक करके कस्टमर को शिप कर देता है। ऐसे में यह दोनों के लिए फायदेमंद रहता है।
3. आसान और आरामदायक -
दोस्तों, जब हम किसी दुकान पर सामान लेने जाते हैं तो दुकानदार को कस्टमर को सामान दिखाना पड़ता है। ऐसे में बहुत बार ऐसा होता है कि दुकानदार सामान दिखाते दिखाते परेशान हो जाता है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर दुकानदार को इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। ग्राहक अपने आप सामान को पसंद करके उसे ऑर्डर कर देता है। ऐसे में यह दोनों के लिए आसान और आरामदायक रहता है।
4. होम डिलीवरी -
ई-कॉमर्स के सबसे बड़ी खासियत यह है कि कस्टमर को घर बैठे सामान मिल जाता है। आपको जो चाहिए होता है, वह आप आर्डर कर देते हैं और आपको आपके घर पर वह सामान मिल जाता है। होम डिलीवरी ही वह कारण है जिसकी वजह से ई-कॉमर्स को इतना पसंद किया जा रहा है। इस व्यवसाय में रोज ही बढ़ोतरी हो रही है। आज के समय में खाना, ग्रॉसरी, कपड़े आदि सभी चीजें एक क्लिक करने पर हमें घर बैठे मिल जाती हैं।
5. असीमित -
ई-कॉमर्स पर स्टोर खोलने का एक फायदा यह भी है कि आप एक क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रहते हैं। आपका सामान को देश हर कोने के व्यक्ति पहुंच सकता है। आप विदेशों तक में अपने सामान की सप्लाई कर सकते हैं। मान लीजिए कोई दुकान पटना में खोली गई है। उस दुकान का ई - कॉमर्स प्लेटफार्म पर स्टोर है। कोई व्यक्ति जो कि केरल में रहता है। ऑनलाइन इस दुकान से सामान ऑर्डर करता है। उसे घर बैठे वह सामान केरल में मिल जाता है। ऐसे में ई - कॉमर्स आपको अपने ग्राहकों को जोड़ने में मदद करता है।
6. हर किसी तक पहुँच -
ई-कॉमर्स प्लेटफार्म तक हर किसी की पहुँच है। चाहे कोई गांव में रहता हो या शहर में या किसी मेट्रो सिटी में, ऑनलाइन सामान कोई भी आर्डर कर सकता है। आज के समय में गांव के लोग भी ऑनलाइन शॉपिंग करना पसंद करते हैं। समय की बचत के साथ ही यह बहुत विस्तृत भी है।
7.- सेल का भी लाभ -
ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर समय-समय पर सेल चलती रहती हैं, जिसका आपको पता चल जाता है। इसके बारे में अनेक एडवर्टाइजमेंट के द्वारा जानकारी दी जाती है। आप सेल के समय में कम कीमत में सामान खरीद सकते हैं। जबकि दुकानों पर होने वाली सेल के बारे में हर किसी को जानकारी नहीं मिल पाती है। ऑनलाइन शॉपिंग करने में तमाम तरह के ऑफर भी दिए जाते हैं, इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग करना कस्टमर और दुकानदार दोनों के लिए काफी फायदेमंद होता है। सेल के कारण दुकानदार को ज्यादा से ज्यादा ग्राहक मिल जाते हैं और साथ ही जो स्टॉक पुराना हो जाता है, वह जल्दी बिक जाता है।
8 - उचित दाम -
अगर शॉपिंग करते समय आपको कोई सामान पसंद आता है तो आप उस सामान को दूसरी वेबसाइट पर जाकर भी चेक कर सकते हैं और दोनों के दामों की तुलना कर सकते हैं। आपको जो दाम उचित लगे, आप उस दाम पर वह सामान खरीद सकते हैं। जबकि जब आप दुकान में जाकर सामान खरीदते हैं तो आपके पास ऑप्शन कम होते हैं क्योंकि आप अगर आपके पास समय कम है तो आप ज्यादा दुकानों पर जाकर सामान के दाम के बारे में नहीं पता कर पाएंगे। ई-कॉमर्स वेबसाइट पर एक क्लिक में ही आपको सब कुछ पता चल जाता है।
ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान क्या है -

दोस्तों, अभी तक तो आप यह समझ गए होंगे इकॉमर्स बिजनेस मॉडल क्या होता है अब हम आपको ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल के अंतर्गत आने वाले ई कामर्स बिजनेस प्लान के बारे में बताने वाले हैं। दोस्तो यहा पर ई - कॉमर्स बिज़नेस प्लान से हमारा तात्पर्य यह है कि आप अपने बिजनेस को किस तरह चलाना चाहेंगे। इसके लिए आपको एक प्लान बनाना होगा, जिसके अनुसार आप अपने व्यवसाय को चलाएंगे। दोस्तों, व्यवसाय चाहे ऑनलाइन हो चाहे ऑफलाइन हो , उसे चलाने के लिए एक प्लान बनाना पड़ता है। फिर उसी प्लान के अनुसार कार्य किया जाता है।
आप ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान को डिसाइड किये बिना अपना ई - कॉमर्स व्यवसाय नहीं शुरु कर पाएंगे। ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान को एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं। मान लीजिए कि किसी ने अपना एक ई - कॉमर्स स्टोर खोला है, जिस पर वह होलसेल में सामान बेचता है, तो उसका ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान होलसेलिंग होगा। होलसेलिंग का मतलब थोक में सामान बेचना होता है।आपको भी अपना ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान सोचना पड़ेगा। वैसे तो आज के समय में बहुत सारे ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान मौजूद हैं। आज के समय में हर चीज ऑनलाइन हो रही है। ऐसे में बहुत से ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान उभर कर सामने आ रहे हैं।
लोग अपनी सुविधाओं और क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपने लिए ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान चुनते हैं। आप भी अपनी क्षमता और सुविधा को ध्यान में रखकर अपने लिए ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान का चुनाव करें। हम नीचे आपको कुछ प्रमुख और चर्चित ई - कॉमर्स बिजनेस प्लान के बारे में बताएँगे।
ई कॉमर्स बिजनेस प्लान कितने प्रकार के होते हैं -

दोस्तों, ई कॉमर्स बिजनेस प्लान के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -
1. जस्ट इन टाइम परचेजिंग -
यह बिजनेस प्लान कम बजट के व्यवसायों के लिए बहुत फायदेमंद रहता है। यह बिजनेस प्लान उन लोगों के लिए भी ठीक है, जिनके पास अपना कोई वेयरहाउस नहीं होता है। आइये जानते हैं कि यह प्लान किस तरीके से काम करता है ? इस बिजनेस प्लान के अंतर्गत लोग अपनी ई - कॉमर्स वेबसाइट पर सामान लिस्टेड कर देते हैं। जब कोई उपभोक्ता वह सामान उनकी वेबसाइट से आर्डर करता है तो वह स्टोर अपने सप्लायर के पास से वह सामान मंगाता है और अपने उपभोक्ता को सामान डिलीवर कर देता है।
मान लीजिए कि आपने अचार का ऑनलाइन स्टोर खोला है। आप अचार अपने आस पास के कुटीर उद्योगों से बनवाकर बेचते हैं। तो जब कोई आपकी वेबसाइट से अचार आर्डर करेगा, तब आर्डर मिलने के बाद आप अपने सप्लायर से अचार को मंगाएंगे और फिर उसे अपने कस्टमर को डिलीवर कर देंगे। इस प्रकार यह बिजनेस प्लान नए शुरू किए गए व्यवसायों के लिए बहुत कारगर साबित होता है।
2. ड्रापशिपिंग-
दोस्तों, यह ई-कॉमर्स का एक जाना माना बिजनेस प्लान है। इस बिजनेस प्लान में आप अपनी वेबसाइट पर अलग-अलग स्टोरों का सामान दिखाते हैं। जब कस्टमर आपकी वेबसाइट से सामान ऑर्डर करता है, तो आप आर्डर उस स्टोर के पास भेज देते हैं, जिस स्टोर का वह सामान होता है और स्टोर से सामान मिलने के बाद आप सामान को अपने कस्टमर को भेज देते हैं।
इस काम में आपको कमीशन मिलता है। आजकल बहुत से लोग ड्रॉप्शिपिंग के माध्यम से घर बैठे अच्छे - खासे पैसे कमा रहे हैं। इस बिजनेस प्लान का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें आपको अपने पास कोई सामान नहीं रखना पड़ता। ड्राप शिपिंग और जस्ट इन टाइम परचेजिंग एक दूसरे से बहुत अलग होती हैं।
3. व्होलसेल -
होलसेल के बारे में तो आप सभी ने सुन रखा होगा। होलसेल में थोक में सामान खरीदा जाता हैं और फिर उसको बेचा जाता है। यहां पर हम आपको ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होलसेल के बारे में बताएंगे। ई - कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बहुत सी कंपनियां होलसेलिंग का व्यवसाय भी करती हैं।
ये कम्पनियाँ अपनी वेबसाइट्स के माध्यम से व्होलसेल में सामान बेचती हैं। आपको बता दें कि थोक में लिया गया सामान खुदरा सामान से सस्ता होता है। व्होलसेल बिजनेस में अलीबाबा एक जानी मानी वेबसाइट है। इसके अतिरिक्त अन्य भी बहुत सी ई - कॉमर्स वेबसाइट हैं। आप अगर व्होलसेल का बिजनेस करना चाहते हैं तो आप यह बिजनेस प्लान अपना सकते हैं।
4. वेयरहाउसिंग -
दोस्तों, बहुत से ई - कॉमर्स स्टोर सिर्फ ऑनलाइन ही रन करते हैं। यह ऑफलाइन में अपना प्रोडक्ट नहीं बेचते हैं। ऐसे स्टोर अपने लिए एक वेयरहाउस बनाकर रखते हैं। इस वेयरहाउस में वे अपने उत्पादों को रखते हैं। जब कोई कस्टमर उनकी वेबसाइट से कोई सामान ऑर्डर करता है, तो वह अपने वेयरहाउस से उस सामान को कस्टमर तक डिलीवर कर देते हैं। अधिकतर ऑनलाइन ई-कॉमर्स स्टोर वेयरहाउसिंग बिजनेस प्लान को अपनाते हैं। वेयरहाउसिंग बिजनेस प्लान को नए शुरू किए गए व्यवसायों में ज्यादातर अपनाया जाता है।
5. व्हाइट -
लेबलिंग - दोस्तों, व्हाइट लेबलिंग बिजनेस प्लान भी काफी चर्चित बिजनेस प्लान है। इस प्लान को हम इस तरह समझ सकते हैं कि मान लीजिए कोई कंपनी A उत्पाद बनाती है और दूसरी कंपनी B उन उत्पादों को अपने नाम से बेचती है।
इस प्रकार के बिजनेस प्लान में एक कम्पनी द्वारा बनाए गए उत्पादों को दूसरी कंपनी रीब्रांड करके लोगों को बेचती है। बहुत सी व्यवसाय इस बिजनेस प्लान के द्वारा रन किए जा रहे हैं। इस बिजनेस प्लान को स्टार्टअप अधिकतर अपनाते हैं क्योंकि नए स्टार्टअप के पास शुरुआत में प्रोडक्ट को बनाने के लिए मशीनरी वगैरह नहीं होती है और उनका बजट भी नहीं होता है कि वह बड़े अमाउंट में सामान उत्पादित कर पाए। इसलिए वह व्हाइट लेबलिंग बिजनेस प्लान को अपनाते हैं।
6. आउट सोर्स फुलफिलमेंट -
आउट सोर्स फुलफिलमेंट में एक कंपनी अपनी सेवाओं को कस्टमर तक पहुंचाने के लिए दूसरी कम्पनी को हायर करती है। कम्पनी आर्डर को शिप करने, आर्डर को हैंडल करने आदि के लिए दूसरी कंपनी को हायर कर लेती है। यह कार्य मुख्यतः तब किया जाता है जब कंपनी के पास बहुत ज्यादा मात्रा में ऑर्डर आते हैं और वह उन सभी ऑर्डर्स को पूरा कर पाने में सक्षम नहीं होती है।
ऐसे समय में कंपनी दूसरी कंपनी से मदद लेती है। अमेजॉन, अलीबाबा आदि कंपनियां आउटसोर्सिंग का काम करती हैं। आउटसोर्सिंग के लिए पार्टनर का चयन करते समय उस कंपनी के बैकग्राउंड, उनके कार्य करने के तरीके आदि के बारे में जानकारी इकट्ठा करना बहुत जरूरी होता है।
7. सब्सक्रिप्शन -
सब्सक्रिप्शन का मतलब होता है किसी सर्विस को सब्सक्राइब करना। ताकि आपको वह सेवा एक निश्चित समय तक मिल सके। ई - कॉमर्स के क्षेत्र में सब्सक्रिप्शन का मतलब होता है कि एक कस्टमर जब कोई सामान परचेज करता है तो यदि उसे वह सामान पसंद आता है। तो वह उसका सब्सक्रिप्शन ले लेता है। उसके बाद एक निश्चित समय तक कंपनी उस कस्टमर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी सर्विस प्रोवाइड करती है। जब सब्सक्रिप्शन खत्म हो जाता है तो कस्टमर को वह रिन्यू करना पड़ता है। बहुत सारी कंपनियां सब्सक्रिप्शन बिजनेस प्लान पर कार्य करती हैं।
8. रेंट और लोन मॉडल -
दोस्तों, आज के समय में बहुत सी कंपनियां अपनी सर्विसेस को रेंट पर देती हैं। आपने भी ऐसी बहुत सी कंपनी के बारे में सुना होगा जो फर्नीचर रेंट पर देती हैं। यह उनके लिए फायदेमंद रहता है जो लोग कुछ समय के लिए किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होते हैं। ऐसे में वहां उन्हें नया फर्नीचर नहीं खरीदना पड़ता है। वह इन e-commerce वेबसाइट पर जाकर एक निश्चित समय के लिए फर्नीचर रेंट पर ले लेते हैं। आज के समय में यह बिजनेस मॉडल बहुत अच्छा काम कर रहा है। आज के समय में पेमेंट ऑनलाइन हो जाता है। ऐसे में यह इस बिजनेस मॉडल के लिए काफी सुविधाजनक रहता है।
9. फ्रीमियम मॉडल -
ई-कॉमर्स के क्षेत्र में फ्रीमियम बिजनेस प्लान उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए अधिकतर कंपनियों के द्वारा अपनाया जाता है। इस बिजनेस प्लान में कस्टमर को कुछ सुविधाएं फ्री में दी जाती हैं, कस्टमर को यदि सुविधाएं पसंद आती है तो वह उन्हें नेक्स्ट टाइम परचेज करता है। कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां डिलीवरी फ्री में देती हैं, तो कुछ फर्स्ट ऑर्डर पर कुछ परसेंट ऑफ कर देती हैं, यह सब फ्रीमियम मॉडल के अंतर्गत ही आता है।
ई - कॉमर्स प्रचार विकल्प -

दोस्तों, किसी भी व्यवसाय को बढाने के लिए उसका प्रचार करना पड़ता है। अगर आप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने व्यवसाय को पहुँचाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको उसकी मार्केटिंग करनी होगी। बिना मार्केटिंग के किसी व्यवसाय को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है।
अगर आप अपने प्रोडक्ट का प्रचार नहीं करते हैं तो आपके व्यवसाय को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने में सालों का वक्त लग जाएगा। प्रोडक्ट के प्रचार के जरिए आप बहुत ही जल्दी अपनी पहुंच को बढ़ा सकते हैं। व्यवसाय की मार्केटिंग करने के लिए आज के समय में बहुत से विकल्प मौजूद हैं। ई - कॉमर्स व्यवसाय के प्रचार संबंधी कुछ प्रमुख विकल्प निम्नलिखित हैं -
1. एफिलिएट मार्केटिंग -
आज के समय में एफिलिएट मार्केटिंग एक उभरता हुआ बिजनेस ऑप्शन है। एफिलिएट मार्केटिंग में व्यक्ति को किसी कंपनी के प्रोडक्ट को ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस के माध्यम से बेचना होता है। प्रोडक्ट बेचने के लिए एफिलिएट मार्केटर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस का प्रयोग करते हैं। एफिलिएट मार्केटर जितने ज्यादा प्रोडक्ट बेचेगा, उसे उसी हिसाब से कमीशन प्राप्त होगा। ऐसे में अपने व्यवसाय को प्रमोट करने के लिए यह एक अच्छा ऑप्शन है। इसमें आपको पहले कोई पैसा नहीं देना होता है। जब आप का प्रोडक्ट बिकता है, तब आपको सिर्फ उसी हिसाब से कमीशन देना होता है। आज के समय में बहुत से व्यवसाय एफिलिएट मार्केटिंग के जरिए अपने सामान को बेचते हैं।
2. पे पर क्लिक -
पे पर क्लिक भी ई-कॉमर्स बिजनेस को प्रमोट करने का एक अच्छा ऑप्शन है। इसमें आप अपने प्रोडक्ट का प्रचार करने के लिए प्रोमोशन करने वाले लोगों से कांट्रेक्ट करते हैं। जब वह आपके प्रोडक्ट का प्रमोशन करेंगे तब उनके एडवर्टाइजमेंट पर क्लिक करके जितने भी लोग आपकी वेबसाइट पर आएंगे, उस हिसाब से आप प्रचार करने वाले को पैसे देते हैं। यह प्रोडक्ट का प्रचार करने का एक अच्छा माध्यम है। यह ऑप्शन प्रोडक्ट बिकवाने की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह विकल्प आपकी वेबसाइट की विजिट बढ़ाता है। अगर कस्टमर आपके प्रोडक्ट देखकर उन्हें खरीदना चाहे तो खरीद सकता है।
3. पे पर सेल -
पे पर सेल का प्रचार विकल्प ज्यादा से ज्यादा सामान बेचने में मदद करता है। इस विकल्प में यह होता है कि प्रमोटर के प्रचार से जितने प्रोडक्ट बिकेंगे, उसी हिसाब प्रमोशन करने वाले आप पेमेंट करेंगे। पर सेल वह एक तय रुपए लेता है। यह विकल्प इस लिहाज से अच्छा है क्योंकि इसमें आपको प्रोडक्ट के बिकने पर ही पैसे देने पड़ते हैं। बहुत सी वेबसाइट अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए इस प्रमोशन के तरीके को अपनाती हैं। यह तरीका अच्छा रिजल्ट देता है।
4. पे पर लीड -
यह ऑप्शन भी पे पर सेल और पे पर क्लिक की तरह होता है। बस इसमें फर्क यह है कि इसमें प्रमोशन करने वाले को पर लीड के हिसाब से पैसा मिलता है। गूगल एड, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे ऐड जेनरेशन प्रोग्राम इस प्लान को ऑफर करते हैं। इस प्लान के जरिए प्रमोशन करना बहुत आसान होता है। इसमें प्रमोशन करने वाले और कारोबारी दोनों का फायदा होता है।
5. पे पर एक्शन -
पे पर एक्शन एफिलिएट मार्केटिंग से संबंधित है। पे पर एक्शन मार्केटिंग के क्षेत्र में जाना माना टर्म है। मार्केटिंग के लोग इस टर्म से भलीभांति परिचित होते हैं। इस प्रकार के प्रमोशन के जरिए जब कोई विजिटर वेबसाइट को विजिट करता है और वह कोई भी एक्शन उस वेबसाइट पर करता है।जैसे कि अगर वह किसी प्रोडक्ट को चेक करता है, किसी प्रोडक्ट को खरीदता है, आदि कोई भी एक्शन के लिए प्रमोशन करने वाले को कमीशन दिया जाता है। एफिलिएट मार्केटिंग में पे पर एक्शन का काफी प्रयोग किया जाता है। यह प्रचार करने का एक अच्छा माध्यम है।
6. पे पर व्यू -
अगर आप अपने प्रोडक्ट की वीडियो मार्केटिंग कराना चाहते हैं, तो फिर पे पर व्यू विकल्प आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। इसके जरिए यूट्यूब वीडियो के माध्यम से वीडियो मार्केटिंग की जाती है।यह वीडियो कम से कम 10 सेकेंड लंबा होना चाहिए। आपको बता दें कि गूगल किसी भी वीडियो को चलने के 10 सेकंड के बाद ही ऐड दिखाता है। इस प्रमोशन में व्यू के हिसाब से प्रोमोशन करने वाले को पेमेंट दिया जाता है। यह भी प्रचार करने का एक अच्छा विकल्प है।
7. पे पर माइल -
पे पर माइल को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि माइल किसे कहते हैं ? 1000 व्यूज को 1 माइल कहा जाता है। यह गूगल एड्स में प्रयोग किया जाता है। गूगल ऐड 1000 व्यूज पूरे होने के बाद ही यूजर को पेमेंट देते हैं। पर माइल कितने पैसे दिए जाएंगे, यह हर देश में अलग-अलग हैं। भारत में अन्य देशों की तुलना में यह अमाउंट थोड़ा कम है। मार्केटिंग करने का यह एक अच्छा विकल्प है।
8. नेटिव एडवरटाइजिंग -
नेटिव एडवरटाइजिंग प्रचार करने का एक नया विकल्प है। यह विकल्प अभी हाल ही के वर्षों में शुरू हुआ है। इसमें ऑडिएंस को यह पता नहीं चलता है कि एडवर्टाइजमेंट किया जा रहा है। इसमें एडवर्टाइजमेंट करने के लिए अलग से प्रयास नहीं किया जाता है। मान लीजिए कि आपने कोई आर्टिकल लिखा है। उसी आर्टिकल में आप आर्टिकल के फ्लो को तोड़े बिना और कंटेंट से बिना कोई समझौता किए प्रोडक्ट का प्रचार भी कर देते हैं।
तो यह इस एडवरटाइजिंग के अंतर्गत आएगा। नेटिव एडवरटाइजिंग में हर किसी प्रमोशन करने वाले हर व्यक्ति को एक जैसा पैसा नहीं मिलता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी वेबसाइट कितने लोग पढ़ते हैं? वेबसाइट की रीच जितनी ज्यादा होगी उतना ही ज्यादा आपको पैसा मिलेगा।
9. स्पोंसरिंग पोस्ट -
प्रचार करने का यह एक बेहतर विकल्प है। इस में थर्ड पार्टी के कंटेंट को प्रमोशन करने वाला अपनी पेज पर पोस्ट करता है, जिसमें ऊपर यह मेंशन होता है कि यह पेडपोस्ट है। इससे रेगुलर ऑडियंस को यह पता चल जाता है कि यह इस वेबसाइट की रेगुलर पोस्ट नहीं है, बल्कि यह प्रमोशन किया जा रहा है। आपने बहुत बार जाने-माने एक्टर्स को पेड प्रमोशन वाली पोस्ट करते हुए देखा होगा। यह प्रमोशन उसी के अंतर्गत आता है। यह भी प्रचार करने का एक अच्छा तरीका है।
अपना ई - कॉमर्स मॉडल कैसे चुनें -

दोस्तों, हमने आपको ऊपर ई - कॉमर्स बिजनेस मॉडल, इकॉमर्स बिजनेस प्लान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि इ कॉमर्स बिज़नेस मॉडल से संबंधित बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर आपको मिल गया होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि इतने सारे मॉडलों में से आप अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए किस मॉडल का चयन करें, कौन सा मॉडल आपके ई - कॉमर्स बिज़नेस के लिए सही साबित होगा, ऐसे तमाम प्रश्न आपके जहन में उठ रहे होंगे और आपको कन्फ्यूज़ कर रहे होंगे।
जब हम किसी भी व्यवसाय शुरू करते हैं तो तमाम तरह के सवाल हमारे दिमाग में चलते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर को जाने बिना व्यवसाय को शुरू करना ठीक नहीं होता। कभी भी किसी की बातों में आकर के कोई फैसला न लें। जब भी आप बिजनेस को शुरू करने के लिए कोई फैसला लेने वाले हों तो अच्छे से सोच विचार करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुँचे। किसी और की बातों में आकर कोई भी फैसला न लें। ऐसा करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। आइए बात करते हैं कि अपने लिए सही ई - कॉमर्स मॉडल का चुनाव कैसे करें -
1 - आप क्या बेचना चाहते हैं -
सबसे पहले आप यह डिसाइड करें कि आप कौन सा प्रोडक्ट बेचना चाहते हैं। अगर आप प्रोडक्ट को लेकर कन्फ्यूजन में रहेंगे तो आप व्यवसाय को बढ़ाने में ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए सबसे पहले आप यह निश्चित कर लें कि आप अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर कौन सा प्रोडक्ट बेचेंगे ? बहुत बार यह होता है कि लोग बिना सोचे समझे कोई भी प्रोडक्ट बेचना शुरू कर देते हैं, जिसका रिजल्ट बाद में अच्छा नहीं आता है और उनका व्यवसाय भी नहीं चल पाता है। इसलिए सबसे पहले यह निश्चित करना बहुत ही जरूरी है। जब आप यह निश्चित कर लें , तब आप अगले स्टेप की तरफ बढ़ें।
2 - आप यह क्यों बेचना चाहते हैं -
जब आप यह निश्चित कर लें कि आप कौन सा प्रोडक्ट बेचना चाहते हैं। उसके बाद आप इस सवाल का जवाब ढूंढें कि आप यह प्रोडक्ट क्यों बेचना चाहते हैं? इस सवाल का जवाब इस लिहाज से बेहद जरूरी है कि अगर आपको यह पता ही नहीं होगा कि आप यह प्रोडक्ट बेचना क्यों चाहते हैं, तो आप लोगों को उस प्रोडक्ट को खरीदने के लिए कैसे कन्वेंस करेंगे। इसलिए इस सवाल का जवाब बहुत जरूरी हो जाता है। आप जितना ज्यादा अपने प्रोडक्ट के बारे में जानेंगे, उतना ही अच्छे से आप उसे बेच पाएंगे। इस सवाल का जवाब आपको प्रोडक्ट को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बेचने में मदद करेगा।
3 - क्या आप सिर्फ एक उत्पाद बेचना चाहते हैं या आप कई प्रकार के उत्पाद बेचना चाहते हैं -
जब आप अपना ई - कॉमर्स स्टोर खोलने का सोच रहे हैं, तो आपको यह भी निश्चित करना होगा कि आप अपने ई - कॉमर्स पर स्टोर पर एक उत्पाद बेचना चाहते हैं या आप उस पर तरह तरह के उत्पाद बेचना चाहते हैं। जब आप यह निश्चित कर लेंगे तो आपको अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिलेगी। आज के समय में ऐसे बहुत से व्यवसाय मौजूद हैं जो सिर्फ एक प्रकार का उत्पाद बेचते हैं, साथ ही ऐसे भी काफी ई - कॉमर्स स्टोर्स हैं जो विभिन्न प्रकार के उत्पाद अपने स्टोर में बेचते हैं।
4 - आपके टारगेट कस्टमर कौन से हैं -
जब आप इन सवालों के जवाब ढूंढ लें, उसके बाद आपको अपने टारगेट कस्टमर्स को ढूंढना होगा कि आखिर वह कौन से कस्टमर हैं जिनके लिए आप यह उत्पाद बनाकर बेच रहे हैं। यह उत्पाद उनके लिए क्यों जरूरी है? वह इस उत्पाद को क्यों खरीदेंगे ? आपको अपने टारगेट कस्टमर के बारे में पता होना चाहिए और यदि आपको अपने टारगेट कस्टमर के बारे में नहीं पता होगा तो आप अपने व्यवसाय को कैसे बढाएंगे और उसको कैसे सक्सेसफुल बनाएंगे? व्यवसाय को सफल बनाने के लिए आपको अपने टारगेट कस्टमर के बारे में पता होना चाहिए।
5 - क्या आपके कस्टमर इस उत्पाद से सेटिस्फाई होंगे -
जब आप अपने टारगेट कस्टमर के बारे में कंफर्म हो जाएं तब आप इस सवाल पर अपना ध्यान केंद्रित करें कि आपका प्रोडक्ट आपके कस्टमर की कौन सी जरूरतों और इच्छाओं को सेटिस्फाई करेगा? आखिर वह आपका प्रोडक्ट क्यों खरीदेंगे, क्या उन्हें इस प्रोडक्ट की जरूरत है और आपका प्रोडक्ट बाकी प्रोडक्ट से कैसे अलग होगा? आपका प्रोडक्ट मार्केट में पहले से मौजूद उत्पादों से कैसे कंपीट करेगा, इन सवाल के जवाब आप को खोजने होंगे। इन सवालों के जवाब ही आपके व्यवसाय को बेहतर बनाने में आपकी मदद करेंगे।
6 - आपके कस्टमर की आपके प्रोडक्ट से क्या उम्मीदें हैं -
आपको इस सवाल का जवाब भी ढूंढना होगा कि आप भी कस्टमर आपके प्रोडक्ट से क्या उम्मीद रखते हैं, क्या आप का प्रोडक्ट उनकी उम्मीदों पर खरा उतर रहा है? अगर आपका प्रोडक्ट आपके कस्टमर को पसंद ही नहीं आएगा तो अगली बार वह उसको खरीदेंगे ही नहीं। इसलिए आपका प्रोडक्ट आपके टारगेट कस्टमर की उम्मीद पर खरा उतरना चाहिए। इसके लिए आपको अपने टारगेट कस्टमर की उम्मीदों को जानना होगा और इस बारे में जानने के लिए आप सर्वे, रिव्यु और फीडबैक का सहारा ले सकते हैं।
7 - आपके प्रोडक्ट की कीमत क्या होगी -
यह सवाल सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपके प्रोडक्ट की कीमत क्या होगी? क्या आपके प्रोडक्ट की जो कीमत आप रख रहे हैं, वह आपके टारगेट कस्टमर के द्वारा अफॉर्ड को जा सकती है या नहीं ? मान लीजिए कि आप का टारगेट कस्टमर मिडल क्लास है और आपके प्रोडक्ट की कीमत बहुत ज्यादा है तो फिर आपका टारगेट कस्टमर उसे अफॉर्ड नहीं कर पाएगा। इसलिए अपने टारगेट कस्टमर को ध्यान में रखकर ही अपने प्रोडक्ट की कीमत डिसाइड करें।
8 - आपके प्रोडक्ट की गुणवत्ता कैसी होगी -
जब कोई व्यक्ति कोई वस्तु खरीदता है, तो उसे यह उम्मीद होती है कि उसकी गुणवत्ता अच्छी होगी। हमेशा लोग गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता का ध्यान रखें। अगर आपको एक ब्रांड बनना है तो आपको उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना होगा। अगर आपके कस्टमर को उसकी गुणवत्ता नहीं अच्छी लगेगी तो वह अगली बार नहीं खरीदेंगे।
इसलिए आपके प्रोडक्ट की गुणवत्ता कस्टमर की जरूरतों के हिसाब से होनी चाहिए। आपके प्रोडक्ट की गुणवत्ता आपके कस्टमर को निराश न करे, इस बात का ध्यान रखें। ऊपर दिए गए कुछ सवालों के जवाब आप खोजें। जब आपके पास इन सवालों के जवाब होंगे तो आप अपने बिजनेस को बहुत अच्छे से चला पाएंगे और आपका बिजनेस बहुत सक्सेसफुल रहेगा।
बिजनेस हेतु सबसे बेहतरीन ई कामर्स साइट -

दोस्तों अगर आप भी अपना ऑनलाइन स्टोर शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए fynd platform से बेहतर विकल्प दूसरा कोई हो ही नहीं सकता है। इस प्लेटफार्म की मदद से आप बहुत ही कम बजट में न सिर्फ अपना ऑनलाइन स्टोर शुरू कर सकते हैं, बल्कि कम से कम इन्वेस्टमेंट में अच्छा खासा अर्निंग भी प्राप्त कर सकते हैं और इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि आपको इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपना बिजनेस शुरू करने के लिए किसी भी तरीके की पेपर वर्क या फिर लोन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इन सबके अलावा भी इस प्लेटफार्म से जुड़ने के और भी कई फायदे हैं।
1 - कम से कम निवेश -
इस प्लेटफार्म के माध्यम से आप बहुत ही कम निवेश में अच्छा खासा ई-कॉमर्स व्यापार शुरू कर सकते हैं।
2 - ऑनलाइन स्टोर -
इस प्लेटफार्म के अंतर्गत आपको न्यूनतम बजट में अपना अच्छा खासा डिजाइन किया हुआ। ऑनलाइन स्टोर मिल जाता है। जिसमें आपको कस्टमाइज थीम कलर थीम शॉपिंग कार्ट के अलावा और भी कई सारी सुविधाएं दी जाती हैं।
3 - शिपिंग पार्टनर -
इस प्लेटफार्म के तहत बिजनेस करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको अपने प्रोडक्ट के शिपिंग के लिए बिल्कुल भी परेशान नहीं होना पड़ता है क्योंकि यहां पर आपको बहुत ही कम बजट में शिपिंग पार्टनर मिल जाते हैं जोकि आपके घर से आपके प्रोडक्ट को पिकअप करके आपके कस्टमर तक डिलेवर्ड करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
4 - पेमेंट गेटवे -
यह प्लेटफार्म आपको पेमेंट गेटवे की भी सुविधा प्रदान करता है जिसके तहत आप अपने कस्टमर से ऑनलाइन पेमेंट जिसमे क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड और यूपीआई शामिल होता है। इसके साथ ही आप अपने कस्टमर को कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा भी प्रदान कर सकते हैं।
5 - सेलर पैनल -
आपको सेलर पैनल भी प्रदान किया जाता है जिसके अंतर्गत आप अपने प्रोडक्ट इन्वेंटरी सेलिंग और डिलीवरी को ट्रैक कर सकते हैं।
6 - फ्री ट्रायल -
इसके तहत आपको Fynd platform 30 दिन की फ्री ट्रायल की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
7 - वॉउचर और कूपन कि सुविधा -
इसके अंतर्गत आप अपने स्टोर के लिए वाउचर और कूपन जनरेट कर सकते हैं और अपने कस्टमर को इन के माध्यम से नए नए ऑफर्स प्रदान कर सकते हैं।
8 - शेयरिंग आप्शन -
इसके तहत आपको अपने प्रोडक्ट्स की जानकारियों को क्यू आर कोड स्कैनिंग के माध्यम से शेयरिंग और फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम पर लिंक के माध्यम से शेयरिंग ऑप्शन प्रदान किया जाता है।
निष्कर्ष -
दोस्तो अगर आप अपना ऑनलाइन बिजनेस शुरू करना चाहते हैं या फिर अपने ऑफलाइन बिजनेस को ऑनलाइन करना चाहते हैं और आपको ई कॉमर्स बिजनेस मॉडल की अच्छी समझ है तो आपके लिए ई-कॉमर्स एक बहुत ही अच्छा प्लेटफॉर्म है। जहां आप न सिर्फ अपने बिजनेस को ग्रो कर सकते हैं बल्कि अपने बिजनेस को बढ़ाने और उसे ऑनलाइन बहुत सारे कस्टमर से जोड़ने के लिए एक बेहतरीन प्लेटफार्म प्राप्त कर सकते हैं और वर्तमान समय में ई कॉमर्स सबसे ज्यादा प्रचलन में रहने वाले माध्यम में से एक बन गया है।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की कोशिश की है उम्मीद है आपको हमारा आज का यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा। ऐसे ही ज्ञानवर्धक आर्टिकल को पढ़ने हेतु जुड़े रहिए हमारे साथ धन्यवाद।
Frequently asked questions
ई-कॉमर्स मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं
इस कड़ी में पहले नंबर पर B2B बिजनेस-टू-बिजनेस, उसके बाद B2C बिजनेस-टू-कंज्यूमर, फिर आता है C2B कंज्यूमर-टू-बिजनेस और C2C कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर जो कि आख़िर में आता है।
जब कोई कंपनी अपनी ई कामर्स वेबसाइट के माध्यम से किसी प्रोडक्ट को बेचता है तो वह डायरेक्ट कस्टमर से डील करके काम करता है।
दोस्तों जहां तक ई-कॉमर्स की विशेषताएं की बात है तो ई-कॉमर्स के अंतर्गत हर तरह के व्यापारी चाहे वह छोटा हो या फिर बड़ा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने बिजनेस को बढ़ा सकता है। ई-कॉमर्स से जुड़ने के लिए आपके पास बस अच्छा इंटरनेट और कंप्यूटर की बेसिक जानकारी होना अनिवार्य है तभी आप ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल से जुड़ सकते हैं।
कम बजट में ई-कॉमर्स बिज़नेस शुरू करने के लिए आप Fynd platform की मदद ले सकते हैं। यहाँ आप बड़ी ही आसानी से और बिना किसी डेवलपर के अपना एक ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाकर बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। और यदि आपको कहीं पर कोई समस्या है तो fynd platform की टीम आपकी मदद भी करेगी।
ई-कॉमर्स बिजनेस में सफलता पाने के लिए एक अच्छे उत्पाद चयन, प्रभावी वेबसाइट डिज़ाइन, ऑनलाइन मार्केटिंग रणनीति, ग्राहकों के लिए बेहतरीन सेवा, और समय पर डिलीवरी की व्यवस्था का होना बेहद जरूरी है। साथ ही, डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल कर ग्राहक ट्रेंड्स और बाजार की मांग को समझना भी महत्वपूर्ण है।
हां, ई-कॉमर्स बिजनेस में प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है क्योंकि इस क्षेत्र में कई बड़े और छोटे खिलाड़ी मौजूद हैं। हालांकि, अगर आप अपने उत्पादों की गुणवत्ता, सेवा और ब्रांडिंग पर ध्यान देते हैं, तो आप बाजार में अपनी पहचान बना सकते हैं और सफलता हासिल कर सकते हैं।