काजू खेती एवं होलसेल बिजनेस प्लान (पूरी जानकारी यहाँ पढ़े)
दोस्तों अगर आप काजू कि खेती या फिर काजू बिज़नेस प्लान कर रहे हैं या फिर करने के बारे में सोच रहे हैं तो हमारा आज का ये आर्टिकल आपके लिए ही है। इसलिए हमारे आज के इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। दोस्तों काजू के बारे में तो हम सभी जानते हैं यह ड्राई फ्रूट के अंतर्गत आता है और एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जो एनर्जी और प्रोटीन से भरपूर है।
आप सभी हमारे देश में खेती में हो रहे नए नए बदलाव को देख रहे होंगे परंपरागत खेती का रुख बदलकर मुनाफे की खेती की ओर बढ़ रहा है। काजू कि खेती बिजनेस भी एक ऐसा ही प्राफिटेबल बिजनेस है वैसे क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी खेती कैसे होती है या यह कहां उगाया जाता है या फिर इसका होलसेल बिजनेस कैसे होता है।
अगर नहीं तो कोई बात नहीं इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको काजू की खेती बिजनेस प्लान अथवा काजू बिज़नेस प्लान या फिर काजू के अन्य विभिन्न प्रकार के बिजनेस कैसे करें। इन सभी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रदान करने वाले है। तो चलिए शुरू करते हैं। -
काजू खाने के क्या क्या फायदे होते हैं?
दोस्तों प्रकृति में जितने भी तरह के ड्राई फ्रूट और नट्स होते हैं उन सभी को खाने की अपने अलग-अलग फायदे होते हैं ऐसे ही काजू को खाने के लिए अपने अलग और अच्छे फायदे हैं आइए जानते हैं उनके बारे में -
1. हमारे शरीर की एनर्जी लेवल को मेंटेन रखता है काजू और हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
2. खून को बढ़ाने में मदद करता है यदि किसी को भी खून की कमी होती है तो वह काजू की बराबर डाइट सुबह और शाम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लें तो उसके शरीर में खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
3. वजन को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है।
4. काजू शरीर की कमजोरी को दूर करके हड्डियों को मजबूत बनाने में भी बहुत सहयोग देता है।
5. हमारी पाचन शक्ति को भी मजबूत बनाता है और बाल और हमारे चेहरे की शाइनिंग भी बरकरार रखता है।
6. सेहत के लिए और खासतौर पर डायबिटीज में भी काजू बहुत ही अच्छा होता है।
7. काजू में बहुत सारे गुण पाए जाते हैं उसे कैंसर से बचाव किया जा सकता है।
8. हमारे दिमाग को तेज बनाता है और चुस्ती और फुर्ती लाता है।
9. एंटी ऑक्सीडेंट होता है और इसके साथ ही गोल ब्लैडर की पथरी के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है।
काजू बिज़नेस प्लान के प्रकार -
दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज किस आर्टिकल में हम आपको काजू के बिजनेस और काजू की खेती एवं अन्य तरह के होलसेल एवं रिटेल बिजनेस से संबंधित जानकारी प्रदान कर रहे हैं। इसलिए आपको क्षेत्र में आने से पहले यह जानना होगा कि आप काजू का बिजनेस कितने प्रकार से कर सकते हैं। दोस्तों अपने इस लेख में आज हम नीचे आपको काजू के व्यवसाय से जुड़े कुछ प्रकार के बारे में बता रहे हैं। जिसे चुनकर अपनी सुविधानुसार आप काजू का कोई भी व्यवसाय है इनमें से कर सकते हैं।
1 - काजू की खेती -
दोस्तों अगर आप काजू से जुड़ा कोई व्यवसाय करना चाहते हैं और अच्छी बात यह है कि आप एक किसान हैं तो आप इसका बखूबी फायदा उठा सकते हैं और आप काजू की खेती का व्यवसाय कर सकते हैं। अगर आपके पास खेती करने के लिए अच्छी खासी जमीन है तो आप काजू की खेती का व्यवसाय करके अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं
2 - काजू के पैकिंग का बिजनेस -
दोस्तों अगर आपको नहीं पता तो हम आपको बता दें कि काजू की खेती करने के बाद हम उसे यूं ही बाजार में नहीं भेज सकते हैं। कई प्रक्रिया होने के बाद ही काजू खाने लायक बनती हैं और जिसके बाद हम इसकी पैकिंग कर के इसे बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराते हैं तो अगर आप काजू बिज़नेस प्लान पर काम करना चाहते हैं तो आप इस की पैकिंग का व्यवसाय भी कर सकते हैं। आप इसके लिए किसानों से संपर्क करके उनके काजू को खाने योग्य बनाने के लिए सभी प्रक्रियाओं को करने के लिए उनसे संपर्क करके उनके काजू को बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध करा सकते हैं।
3 - काजू का होलसेल बिजनेस -
दोस्तों अगर आपके पास अच्छा खासा बजट है और उस बजट के साथ आप किसी व्यवसाय को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो काजू का होलसेल व्यवसाय आपके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। आप अपने काजू का होलसेल व्यवसाय शुरू करके उसे छोटे छोटे दुकानदारों को बढ़िया मुनाफे के साथ बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
इसके लिए आपको कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा लाभ मिलता है अगर आपके पास काजू का होलसेल व्यवसाय करने के लिए गोडाउन और दुकान के लिए आपकी अपनी जगह है तो इस व्यवसाय में कम बजट के साथ आप अधिक मुनाफा कमाकर काजू के व्यवसाय के सहारे आगे बढ़ सकते हैं।
4 - काजू का रीटेल बिजनेस -
दोस्तों अगर आपका बजट कम है और आप खेती या फिर होलसेल बिजनेस नहीं कर सकते हैं तो कम बजट के साथ आप काजू का रिटेल बिजनेस भी कर सकते हैं। क्योंकि ड्राई फूट्स में काजू एक बहुत ही अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक ड्राई फ्रूट्स कि श्रेणी में आता है। जिसकी डिमांड मार्केट में हर रोज ही होती है तो आप इसका रिटेल बिजनेस आराम से कर पाएंगे।
अगर आपका पहले से ही कोई जनरल स्टोर है तो आप उसमें काजू को ऐड करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। जैसे कि अगर आपका जो 400 रुपए प्रति किलो खरीद रहे हैं तो आप उसे रिटेल दाम में मार्केट प्राइस के तहत 700 से 800 रुपए प्रति किलो बेच सकते हैं। जिसमें आपको 300 से 400 रुपए का मुनाफा होता है इसलिए आप चाहें तो काजू का रिटेल बिजनेस कर सकते हैं।
5 - काजू का ऑनलाइन बिजनेस -
दोस्तों डिजिटल होते इस जमाने में आप काजू का ऑनलाइन बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। क्योंकि आज तनाव भरे इस दौर में हर इंसान यही चाह रहा है कि घर बैठे उसका हर जरूरी सामान आ जाए और आजकल खाने पीने की न सिर्फ रेडीमेड चीजें बल्कि खाद्य सामग्री तक लोग अपने दरवाजे तक मंगाना पसंद कर रहे हैं। इनमें ड्राई फ्रूट्स भी एक अहम खाद्य सामग्री बन गया है इसलिए अगर आप चाहें तो आप काजू का ऑनलाइन व्यवसाय भी कर सकते हैं जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
काजू की बिजनेस की मार्केट डिमांड -
दोस्तों हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर दिल और दिमाग सभी के लिए काजू बहुत ही अच्छा है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन मिनरल और विटामिंस पाए जाते हैं यही कारण है कि सभी लोग रोजाना अपनी डाइट में काजू का इस्तेमाल करना नहीं भूलते। बहुत सारे लोग काजू और बादाम को तो रात में पानी में भीगा कर सुबह खाते हैं इससे उनके शरीर में पूरे दिन चुस्ती और स्फूर्ति बनी रहती है।
इसकी मार्केट डिमांड की बात की जाए तो मार्केट डिमांड काजू की पहले से ही बहुत ज्यादा है और अब और भी ज्यादा बढ़ने लगी है आने वाले समय में इसके डिमांड कम नहीं होंगी बल्कि और बढ़ेंगे। हमारे देश में लगभग 10.50 लाख हेक्टेयर में काजू की पैदावार होती है जिसमें लगभग 7 लाख टन काजू उगाए जाते हैं। जो विदेशों से लेकर देश के सभी मार्केट में पहुंचते हैं।
इसकी डिमांड बड़ी बड़ी होटल रेस्टोरेंट के साथ ही मिठाई दुकानों पर भी है। इससे बनने वाली मिठाइयों में बहुत सारी वैरायटी अब बनने लगी है और आने वाले समय में काजू की मांग ऐसे ही बढ़ती रहेगी। इसे सिर्फ मिठाईयां ही नहीं बल्कि तरह-तरह की नमकीन भी बनाई जाती है बल्कि हर तरह की नमकीन में जो थोड़ी महंगी और अच्छी होती है उसमें इसका इस्तेमाल किया जाता है।
लोग तरह तरह के लड्डू बनवाते हैं और मेवे के लड्डू तो सभी को पसंद आते हैं। यही कारण है की बाजर मे लगातार इसकी डिमांड बनी हुई है और आने वाले समय में भी इसकी डिमांड मार्केट में हमेशा हाई ही रहेगी।
काजू का बिजनेस कैसे शुरू करें?
दोस्तों काजू की खासियत और उसके खूबी के बारे में हम सभी जानते हैं प्रोटीन विटामिन मिनरल्स से भरपूर काजू लोगों को अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए अपनी और लुभाता है आजकल हर कोई अपने दिन भर की डाइट में एक बार काजू को जरूर इस्तेमाल करता है।
काजू पतले लोगों को मोटा करने में भी फायदेमंद साबित होता है क्योंकि काजू में फैट होता है। काजू जितना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है उतना ही इसका व्यवसाय एक व्यवसाई के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि काजू एक ऐसी चीज है जो हर रोज बिकती है तो इसका हर तरीके से व्यवसाय एक व्यवसाई के लिए लाभकारी होता है।
वैसे तो काजू विदेशियों द्वारा भारत में लाई गई ड्राई फ्रूट है और इसका सबसे पहले उत्पादन गोवा में हुआ था। इसके बावजूद भी भारत के वातावरण काजू की खेती के अनुकूल होने से यहां किसानों ने इसकी खेती करना शुरू कर दिया। और आज भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा काजू की खेती करने वाला देश बन गया है और समय के साथ-साथ काजू के बढ़ते हुए डिमांड ने इसकी खेती को और ज्यादा बढ़ावा दिया है तो अगर आप काजू को लेकर अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
क्योंकि वर्तमान में काजू ही नहीं काजू के साथ-साथ अन्य ड्राइफ्रूट्स की भी मांग तेजी से बढ़ी है। इसलिए आप इसका ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से व्यवसाय शुरू करके लोगों के घर तक काजू पहुंचा कर इससे अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं लेकिन इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए भी हमें कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
हम अपने इस लेख में आपको काजू का व्यवसाय कैसे कर सकते हैं इसके बारे में सभी जानकारियां विस्तार से बता रहे हैं इसलिए आप निम्नलिखित पॉइंट्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें तो आपको काजू के ऑनलाइन व्यवसाय को कैसे करें के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो पाएगी।
1 - योजना बनाएं -
दोस्तों जैसा कि हम हमेशा से आपसे कहते हैं आए हैं बिजनेस कोई भी हो बिना योजना के उस पर चलना असंभव है। अगर आप काजू बिज़नेस प्लान या फिर काजू की खेती शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो उससे पहले आपको कई योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।
जैसे कि आप किस प्लेटफार्म के साथ जुड़कर अपना काजू का या ऑनलाइन व्यवसाय शुरू करेंगे या फिर किस स्तर पर खेती किसानी को शुरू करेंगे। अगर ऑनलाइन काजू बात करें तो आजकल मार्केट में बहुत सारे ऐसे ऑनलाइन साइट्स मौजूद हैं जिससे आम आदमी अपने जरूरत के सामान अपने दरवाजे तक ऑनलाइन मंगाता है।
लेकिन उसमें भी लोगों का ध्यान इस बात पर ज्यादा रहता है कि कौन सी साइट कितना और किस तरीके का उन्हें छूट और ऑफर दे रही है। इसलिए यह योजना बनाएं कि आप अपना खुद का ऑनलाइन साइट खोल कर उस पर अपना काजू का व्यवसाय शुरू करेंगे या फिर Fynd Platform के माध्यम से मार्केट में प्रचलित साइटों जैसे ऐमेज़ॉन फ्लिपकार्ट मेशो इत्यादि ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर सेलर अकाउंट बनाकर आप अपना काजू का ऑनलाइन व्यवसाय शुरू कर रहे हैं।
इनके साथ टाइप करके आप अपने प्रोडक्ट को लोगों के नजर में पहले लाने के लिए उनसे किस तरीके के सुविधा को मांगते हैं जैसी योजनाओं के बारे में आपको सोचना जरूरी हो जाता है जिससे ऑनलाइन व्यवसाय करते समय आपको ज्यादा से ज्यादा और औडर मिल पाए और आपका व्यवस्थाएं सुचारू रूप से आगे बढ़ पाए।
2 - जगह देखें -
दोस्तों जगह पूरी तरीके से आपके बिजनेस के प्रकार पर निर्भर करता है अगर आप काजू का ऑनलाइन व्यवसाय शुरू कर रहे हैं इसलिए खेती और होलसेल बिजनेस की अपेक्षा आपको इस तरीके से व्यवसाय करने के लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता तो नहीं होती है।
लेकिन वहीं अगर आप काजू की खेती या फिर इसका होलसेल और रिटेल बिजनेस कर रहे तो आपको अपने काजू को स्टोर करने के लिए और अपने कस्टमर तक उसे पहुंचाने के लिए अच्छे खासे जगह के आवश्यकता पड़ती है।
लेकिन आप इसमें बचत भी कर सकते हैं शुरुआत में बगैर निवेश के आप अपने घर के एक कमरे में ही काजू के होलसेल या फिर रिटेल बिजनेस अथवा स्टोर को खोलने के लिए जगह बना सकते हैं। इसमें आपका पैसा कम लगेगा और ग्राहक तक आप अपने कार्यों पैक करके आराम से सेल्स बॉय के द्वारा ग्राहक तक उनके घर तक पहुंचा पाएंगे
3 - लाइसेंस और पंजीकरण -
दोस्तों हर व्यवसाय के लिए एक निर्धारित दस्तावेज एवं लाइसेंस ऑफ पंजीकरण की आवश्यकता तो पड़ती ही है। इसलिए आपको काजू के खेती एवं काजू के होलसेल रिटेल बिजनेस से संबंधित आपको कुछ जरूरी लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता होती हैं।
दोस्तों वर्तमान समय में किसी भी व्यवसाय के लिए जो सबसे जरूरी रजिस्ट्रेशन है वह है आपका जीएसटी नंबर आपको किसी भी संस्था के साथ मिलकर अपना व्यवसाय करना हो तो इसके लिए आपके पास आपका जीएसटी नंबर होना बहुत जरूरी है और हर तरह के व्यवसाय के लिए जिसका रजिस्ट्रेशन आपको कराना होता है।
वही क्योंकि आप एक खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं इसलिए आपको FSSAI से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है जो कि इस बात का प्रमाण है कि आपका खाद्य पदार्थ हंड्रेड परसेंट खाने योग्य है और इसमें किसी भी तरीके का मिलावट नहीं है और इसे खाने से स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं होगा।
वहीं अगर आप भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपने काजू का ऑनलाइन सप्लाई करने की इच्छा रखते हैं तो इसके लिए आपके पास IEC से रजिस्ट्रेशन कराना होता है जो आपको विदेशों में व्यापार करने के लिए मंजूरी देता है।
4 - सरकारी कार्यक्रम -
अगर आप अपने काजू व्यवसाय में किसी तरीके का सरकारी मदद चाहते हैं तो इसके लिए आप अपने व्यवसाय को MSME के तहत रजिस्टर्ड करा सकते हैं। जिसमें छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कम ब्याज दर पर लोन मुहैया कराती है। MANE में रजिस्ट्रेशन भी आपके काजू की खेती एवं काजू व्यवसाय अब चाहे वह होलसेल हो या फिर रिटेल दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
5 - आवश्यक निवेश
दोस्तों हर व्यवसाय में निवेश एक जरूरी पहलू है इसके अभाव में हम कोई भी व्यवसाय शुरू ही नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर आप यह सोच रहे हैं कि काजू के इस व्यवसाय में आपका बहुत ज्यादा पैसा लगता है तो यह बिल्कुल गलत है।
अगर आप छोटे स्तर पर अपने काजू का होलसेल एवं रिटेल या फिर किसी ऑनलाइन संस्था जो ऑनलाइन सामान लोगों को उनके घर तक मुहैया कराती है उस से जुड़कर अपने काजू का ऑनलाइन व्यवसाय करने की इच्छुक है तो आपको ऐसा करने के लिए कुछ निर्धारित फीस को देना पड़ता है।
यही नहीं अगर आप अपने काजू कि खेती शुरू कर रहे हैं तो आपको जितनी जमीन में काजू कि खेती करनी है उसके अनुसार ही निवेश करने की जरुरत होती है। वही आप अपने काजू के बिजनेस आदि की मार्केटिंग करेंगे इसके लिए भी आपको निवेश की आवश्यकता पड़ती है। इस लिहाज से मिलो क्या सकते हैं कि आप लाख रुपए से भी काजू का होलसेल और रिटेल बिजनेस शुरु कर सकते हैं।
6 - पैकेजिंग -
दोस्तों वर्तमान समय में काजू का होलसेल व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय हैं जिसकी डिमांड मार्केट में लगातार बनी हुई है। इसलिए अगर आप अपने काजू की खेती या फिर होलसेल एवं रिटेल व्यवसाय शुरू कर रहे हैं तो आपको इसके पैकेजिंग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
क्योंकि आपके काजू का प्रेजेंटेशन मार्केट और लोगों के घर तक जितनी अच्छी तरीके से पहुंचेगा। उतना ही आपके प्रोडक्ट का लोगों में प्रचार होगा इसलिए अपने काजू को मार्केट तक पहुंचाने से पहले उसके पैकेजिंग पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
इसलिए दोस्तों काजू का जिसने किसी की तरीके से किया जाए उसकी पैकेजिंग बहुत मायने रखती है। क्योंकि कुछ हद तक आपके प्रोडक्ट की पैकेजिंग आपके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती हैं।
काजू की खेती मे जोखिम -
दोस्तों काजू की खेती करने से पहले हमें कई सारे ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु है जिन्हें ध्यान में रखना होता है आइए उन बिंदुओं की तरफ रुख करते हैं। -
1. मिट्टी - सबसे बड़ी बात यह होती है कि हम जिस मिट्टी में काजू को उगा रहे हैं वह कोई साधारण मिट्टी नहीं है। अगर हम यह सोच कर खेती करते हैं कि साधारण मिट्टी में भी हम काजू को उगा सकते हैं तो यह हमारे लिए सबसे बड़ा जोखिम हो सकता है। इसके लिए बलुआ दोमट मिट्टी की जरूरत पड़ती है और जिस स्थान पर जलजमाव ना होता हो।
2. जलवायु - दूसरा जोखिम यह है कि जब भी हम इसकी खेती करते हैं तो हमें जलवायु का विशेष रूप से ध्यान रखना
3. होता है। ऐसी जगह इसकी खेती करना उचित है जहां पर इसकी जलवायु 20 से 30 डिग्री से ज्यादा ना हो। अगर हम बिना जलवायु का ध्यान रखें इस की खेती करते हैं तो हमें इसका नुकसान हो सकता है।
4. हम काजू के जिस प्रकार की खेती कर रहे हैं हमें उसके बारे में भी अच्छे से जानकारी होनी चाहिए। अगर हम बिना जानकारी के कोई भी बीज लगा देंगे तो हो सकता है वह मार्केट में ज्यादा दिन चलना पाए या जल्दी ही खराब होने की शंका भी रहती है ऐसे में फसल का नुकसान हो सकता है। हालांकि इसके लिए हमारे कहने का तात्पर्य है कि काजू की खेती के लिए आपको विशेषज्ञ सलाह मशवरा एवं प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होता है।
काजू की खेती के बिजनेस में लागत -
दोस्तों काजू की खेती मे यदि लागत की बात की जाए तो वह आपकी बजट पर निर्भर करता है आप कितने हेक्टेयर मे इसकी खेती करना चाहते है यह उस पर निर्भर करता है। लेकिन फिर भी एक मोटा मोटा हिसाब रखे तो आपको लगभग 25 से 30 लाख रुपए तक की आवश्यकता इस बिजनेस को करने के लिए पड़ेगी।
प्रारंभिक व्यवसाय के तौर पर अगर आप इसे शुरू करते हैं और आप पुराने किसान हैं और आपके पास जमीन है तो आपका जमीन का पैसा बच जाता है। कुछ पैसे ही मशीन में लगते हैं और कुछ मजदूरों को उनकी मजदूरी के तौर पर देना पड़ता है क्योंकि इस खेती में 2 से 5 साल तक का वक्त लगता है।
तो इसके बीच में जितने भी मजदूर इसकी देखभाल करते हैं तो हमें उन्हें उनका हर्जाना देना पड़ता है। इसके साथ ही इसकी खेती में जिन उपकरणों की सहायता से हमें खेती कर पाते हैं और उपकरण का खर्च और समय-समय पर निराई गुड़ाई और पानी का खर्च अगर वह सब जोड़ा जाए तो आपका बजट इतना तक आ जाएगा।
काजू की खेती के बिजनेस में होने वाला प्रॉफिट -
दोस्तों केंद्रीय मंत्री की बात करें तो उनका कहना है कि हमारे देश में काजू का उत्पादन नट्स के क्षेत्र में दूसरे नंबर पर है लगभग 11 लाख हेक्टेयर में काजू की फसल उगाई जाती है जिसमें लगभग 7लाख टन काजू का उत्पादन होता है। दोस्तों एक हेक्टेयर में लगभग 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं काजू के और एक पेड़ से लगभग 18 से 20 किलो तक काजू मिल सकते हैं।
और यदि इसके भाव की बात की जाए तो बाजार में 700 से 800 रूपये किलो काजू का भाव ह। यदि हिसाब से अंदाजा लगा लिया जाए तो लाखों रुपए तक का प्रॉफिट काजू की खेती से हो सकता है। काजू की खेती में बहुत सारे लोगों को रोजगार भी मिल रही है। और इसके साथ ही लोगों की अच्छी कमाई भी हो रही है।
बहुत सारी किसान परंपरागत खेती को छोड़कर मुनाफे की खेती की ओर बढ़ चुके हैं। ऐसे में प्रॉफिट कि यदि बात की जाए तो काजू की खेती में किसानों को अच्छा प्रॉफिट हो रहा है। जरुरत है इसकी खेती के बारे में पूरी जानकारी को प्राप्त करना और इसमें लगने वाले मशीनों को खरीदना जिससे इसकी खेती को आसानी से किया जा सके।
काजू प्रोसेसिंग के सभी पहलू -
दोस्तों अगर आपको यह लगता है कि काजू की खेती करने के बाद जो पदार्थ हमें प्राप्त होता है। उसे सीधा बाजार में बेचने के लिए भेज सकते हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि जब भी काजू की खेती होती है तो उगने के बाद वह खाने के लिए नहीं होती आप उसे कई प्रक्रिया के तहत गुजारने के बाद काजू को उसके वास्तविक रूप में लाया जाता है जिसके बाद वह हमारे खाने के योग्य बन पाती हैं। इन प्रक्रियाओं को हम निम्नलिखित चरण के साथ आपको समझा रहे हैं।
1. सुखाने और पैकेजिंग -
दोस्तों काजू की खेती करने के बाद जब काजू उपज हो जाती हैं तो उसके बाद हमें उसे तेज धूप में सुखाना होता है और फिर इसके बाद हमें उसे जुट की थैली में लपेट कर रख देना होता है।
2. भाप देना -
दोस्तो अब उसके बाद काजू को उसके प्राकृतिक खोल के अंदर भाप देना होता है। जिससे खोल के नरम होने पर काजू को आसानी से खोल से अलग कर लिया जाता है
3. काजू को तोड़ना और हटाना -
इसके बाद काजू की लंबाई के अनुसार खोल को खोल दें और उसे हाथ से निकाल कर अलग कर लें। इसके लिए मशीन भी आता है जो आपके काम को आसान बना देगा। इस काम में आपको बहुत सारे मजदूरों की जरुरत होगी क्योंकि एक-एक काजू को खुद से तोडना एक आदमी के वश की बात नहीं है।
4. ओवन -
दोस्तों इसके बाद काजू की गुठली को कुछ घंटों के लिए धीमी आंच पर ओवन में सुखाया जाता है। जिससे उसकी त्वचा प्रभावित होती है और ढीली हो जाती है जिससे काजू की त्वचा को जल्दी से छील लिया जाता हैं।
5. कैबिनेट ड्रायर में सुखाना -
दोस्तो अब इसके बद ओवन में सुखाए गए काजू कि गुठली को कैबिनेट ड्रायर में सूखने के लिए रख दिया जाता है। काजू प्राप्त करने के लिए उसकी बाहरी त्वचा को हटाया जाता हैं जो लाल रंग (टेस्टा) का है। इसके बाद हमें खाने योग्य काजू प्राप्त होता है
काजू के बिजनेस हेतु आवश्यक दस्तावेज -
दोस्तों ऐसा नहीं है कि हम अपने काजू का उद्योग छोटी सी दुकान में खोल रहे हो उसके लिए हमें कोई भी दस्तावेज ना लगे। क्योंकि हम अपना उद्योग बड़े पैमाने पर भविष्य की इस आशा के साथ खोल रहे हैं कि हम अपने उद्योग को भविष्य में एक ब्रांड बना सकें। इसलिए उसकी तैयारियां हमें अपने उद्योग को शुरू करने के साथ ही शुरू करनी होंगी।
क्योंकि हम एक खाद्य सामग्री का ऑनलाइन व्यवसाय कर रहे हैं इसलिए हमें कुछ जरूरी दस्तावेजों की भी आवश्यकता होती है जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं। तो आइए यह जान लेते हैं कि हमारे काजू के उद्योग के लिए हमें किन-किन जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ सकती हैं और जिनका रजिस्ट्रेशन हमें अपने व्यवसाय को खोलने के साथ ही कराना पड़ता है।
1 - GST रजिस्ट्रेशन
दोस्तों अगर आपको नहीं पता है तो हम बता दें कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा सभी तरह के व्यवसायो के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया गया है। क्योंकि आपका काजू का होलसेल एवं रिटेल या फिर ऑनलाइन व्यवसाय करना है इसलिए आपके सामान को खरीदने और बेचने के लिए आपके पास जीएसटी रजिस्ट्रेशन होना बहुत जरूरी होता है। इसके अभाव में आप अपना व्यवसाय शुरू नहीं कर सकते हैं। इसलिए आपको अपने काजू के उद्योग के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है।
2 - MSME रजिस्ट्रेशन
दोस्तों अगर आपको जानकारी ना हो तो आपको हम बता दें कि एमएसएमई रजिस्ट्रेशन आपके काजू व्यवसाय के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर आपको जानकारी नहीं है तो बता दें कि इसी के तहत छोटे-छोटे उद्योग रजिस्ट्रेशन करा कर अपना काम करते हैं। कोई भी छोटा उद्योग चलाने से पहले लोग गवर्नमेंट की एक साइट होती है उस पर MSME के तहत रजिस्ट्रेशन करवाते हैं। इसके अंतर्गत आप अपने व्यवसाय हेतु लोन भी प्राप्त कर सकते हैं।
3 - Trade लाइसेंस [यानि गुमस्ता लाइसेंस]
दोस्तों अगर आप अपने व्यवसाय को लोगों के बीच एक पहचान देना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अपने दुकान के नाम से Trade License या फिर गुमास्ता लाइसेंस बनवाने की जरूरत होती है। जिससे यह पता चलेगा कि यह बिजनेस आपके दुकान के द्वारा ही बेची जा रही है। यह लाइसेंस मुख्य रूप से आपको आपके नगरपालिका के द्वारा जारी किया जाता है। जो आपको अपने शहर अपने क्षेत्र से व्यवसाय शुरू करने का अधिकार प्रदान करता है।
4 - FSSAI रजिस्ट्रेशन
दोस्तो जैसा कि हमने आपसे पहले ही कहा और यह बात हम सभी जानते हैं कि क्योंकि काजू एक फाटे सामग्री यानी कि खाने की चीज है। इसलिए आपको इसके लिए FSSAI से रजिस्ट्रेशन कराना होगा और अपने खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता का सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा जो आपके काजू बिज़नेस प्लान के लिए जरूरी है।
5 - IEC रजिस्ट्रेशन [अगर विदेश मे अपना काजू बेचते हैं तो ] -
दोस्तों अगर आप अपना काजू का व्यवसाय सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी करना चाहते हैं या फिर कर रहे हैं तो भी इसके लिए आपको एक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है। जो कि एक जरूरी दस्तावेज है जिसे IEC सर्टिफिकेट कहते हैं और आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि आपको अपने काजू व्यवसाय को विदेशों में बेचने के लिए IEC रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। जिससे कि आप अपना काजू का व्यवसाय विदेशों में भी आसानी से कर पाएंगे। दोस्तों अगर आप अपना यह व्यवसाय विदेशों में बड़े पैमाने पर करना चाहते हैं तो आपके लिए यह रजिस्ट्रेशन जरूरी हो जाता है।
काजू के बिज़नेस हेतु काजू कहाँ से खरीदे
दोस्तों अपना काजू का व्यवसाय शुरू करने के लिए हमने सभी योजनाएं तो बना ली है। यह भी तय कर लिया कि हम किस तरीके से काजू के व्यवसाय को करेंगे। अब इसके बाद बात आती है कि हम अपना काजू का व्यवसाय करने के लिए काजू कहां से खरीदेंगे।
क्योंकि अगर काजू की खेती कर रहे हैं तब तो आपको इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन अगर आप काजू की होलसेल या फिर रिटेल बिज़नस करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। चूंकि अब तक आप यह तो निर्धारित कहीं चुके होंगे कि आपको किस तरह से काजू का व्यवसाय करना चाहते हैं।
इसलिए आप अपने काजू के व्यवसाय के लिए काजू या तो काजू का थोक व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों से खरीद सकते हैं या फिर आप डायरेक्ट किसानों से संपर्क करके उनसे सीधे तौर पर काजू खरीद सकते हैं दोस्तों अगर आप हमारी सलाह मानें तो हम आपसे ही कहेंगे कि आप अपने काजू के होलसेल एवं रिटेल व्यवसाय के लिए डायरेक्ट किसानों से ही काजू खरीदें।
क्योंकि यह आपके व्यवसाय के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि कोई भी थोक विक्रेता आपको काजू अपना कुछ मुनाफा रखकर ही बेचेगा। लेकिन अगर आप अपना काजू सीधा किसानों से खरीदेंगे तो आप बिचौलियों के द्वारा कमा रहे मुनाफे से बच सकते हैं और वह मुनाफा आप खुद अपना काजू बेचकर लोगों से कमा पाएंगे।
काजू की खेती बिज़नेस प्लान क्या है -
दोस्तों बात अब चाहे काजू कि बर्फी कि हो या फिर काजू के व्यवसाय के लोगों के लिए इसकी बारिकी को समझना बहुत जरूरी है और एक व्यवसाई के लिए कितना ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है इस बात का अंदाजा आपको लग ही गया होगा। तो अगर आप भी काजू की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो उसके बारे में आपको बहुत ही बारीकी से इस व्यवसाय से संबंधित कुछ प्लान बनाना भी जरूरी हो जाता है।
मसलन अगर आप इसकी खेती करेगें तो किस तरीके से करेंगे, खेती के लिए कितनी जगह पर्याप्त होगी, खेती के लिए वातावरण कैसा होगा और वहीं अगर आप इसके होलसेल रिटेल अथवा ऑनलाइन बिजनेस करने के बारे में सोच रहे हैं तो भी आपको जगह लागत और सबसे जरुरी चीज काजू की खरीद फरोख्त कैसे हो कहां से करेंगे।
इन सभी पहलुओं पर बारिकी से विचार करने कि आवश्यकता होती है। दोस्तों अगर आप काजू की खेती का बिजनेस प्लान कर रहे हैं तो उसके नफा नुकसान के बारे में भी प्लानिंग जरूर कर ले। यहां हम आपको काजू के खेती और उसके विभिन्न प्रकार से व्यवसाय कि जानकारी या फिर यू कहे कि काजू के बिजनेस से संबंधित हर तरह कि बिजनेस प्लान के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
काजू की खेती हेतु मिट्टी कैसी होनी चाहिए -
दोस्तों अगर आप काजू की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको उस से संबंधित मिट्टी के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए। अगर आप एक किसान है तो आपको मिट्टी की अच्छी पहचान होगी। अन्यथा आप हमारे द्वारा बताए गए काजू की खेती हेतु मिट्टी का अनुसरण भी कर सकते हैं। दोस्तों हम आपको काजू की खेती के लिए कुछ उपयुक्त मिट्टी के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो निम्नलिखित प्रकार से हैं। -
1 - लेटराइट मिट्टी -
दोस्तों इस कड़ी में हम सबसे पहले बात करेंगे लेटराइट मिट्टी के बारे में। आपको बता दें कि यह मिट्टी चट्टानों की टूट-फूट से बनती है और इसमें एलुमिनियम लोहा और चुना अधिक मात्रा में होते हैं। यह मिट्टी ऐसे स्थान पर होती है जहां का मौसम शुष्क और बारिश वाला बारी बारी से होता रहता है। यह मिट्टी काजू की खेती के लिए बहुत ही उपयोगी होती है इसमें काजू की खेती बहुत अच्छे से होती हैं।
2 - समुंद्र तटीय लाल मिट्टी -
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर आती है समुंद्र तटीय लाल मिट्टी। दोस्तों भारत में लाल मिट्टी को पीली मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। यह चट्टानों की क्रिस्टल, कम मिट्टी और रेत से बनती है जो काजू की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
क्योंकि काजू की खेती ऐसी जगह पर की जाती है जहां पर ज्यादा नमी ना हो और ना ज्यादा शुष्क मौसम हो और ऐसे जलवायु में लाल मिट्टी में काजू की खेती बहुत ही आराम से होती हैं और इसमें काजू आराम से पैदावार होते हैं।
3 - अन्य प्रकार की मिट्टी -
दोस्तों वैसे तो यह दोनों प्रकार की मिट्टी काजू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई हैं लेकिन इनके अलावा भी आप अन्य प्रकार की मिट्टियों से काजू की खेती कर सकते हैं। जिनसे आपके काजू की खेती को खतरा ना हो और आप की खेती आरामपूर्वक हो जाए।
तो अगर आप यह सोच कर परेशान हो रहे हैं कि आपकी काजू की खेती करने के लिए लाल मिट्टी और लेटराइट मिट्टी नहीं है तो आप कुछ सावधानियों के साथ अन्य प्रकार की मिट्टी में भी काजू की खेती कर सकते हैं। लेकिन हो सकता है उसमें आपकी मेहनत ज्यादा लगे पैसा भी लगे और सावधानियों के अभाव में आपके काजू की खेती खराब भी हो सकती हैं।
काजू की खेती हेतु जलवायु कैसी होनी चाहिए -
दोस्तों काजू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु की बात करें तो जब हम का काजू की खेती शुरू करते हैं तो शुरुआती दौर में हमें इसकी खेती के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। लेकिन जब इसके पौधे में फल होने लगते हैं तो पौधे को शुष्क मौसम की जरूरत पढ़ने लगती हैं।
वही जब काजू के पौधे के फूल जब फल बनने लगते हैं तब हमें 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। तापमान की थोड़ी सी भी उच्च नीच हमारे काजू के फसल को पूरी तरीके से नुकसान कर सकती है। यही नहीं तापमान के थोड़े से भी ऊंच-नीच होने से काजू के फलों की गुणवत्ता में कमी होने का खतरा बना रहता है और फल पेड़ से टूट के गिर भी सकते हैं।
अगर आप काजू की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको हम बता दें कि काजू की खेती करने के लिए उष्णकटिबंधीय वातावरण को काजू की खेती के लिए सबसे अच्छा माना गया है। वही काजू की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है काजू की खेती के लिए उसकी सिंचाई के लिए पानी की भी अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है क्योंकि इसकी खेती के लिए हमें पानी भरपूर मात्रा में चाहिए होता है।
कहाँ-कहाँ होती है काजू की खेती -
दोस्तों आमतौर पर तो यह बताया जाता है कि काजू की खेती सबसे पहले ब्राजील में की गई थी। लेकिन भारत की बात करें तो व्यवसायिक तौर पर भारत में काजू की खेती बड़े पैमाने पर गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में होती है।
यही नहीं काजू के लिए एक उपयुक्त जलवायु झारखंड के कुछ जिलों को माना गया है जो उड़ीसा और बंगाल राज्य से सटे हुए हैं। दोस्तो झारखंड में भी काजू की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है क्योंकि यहां की जलवायु काजू की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है।
काजू के पौधे के प्रकार -
दोस्तों अपनी खासियत और गुणवत्ता के कारण काजू लोगों में लोकप्रिय हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आप जो काजू खाते हैं। उसमें भी कई प्रकार होते हैं मसलम जो काजू हमें खाने में इतनी टेस्टी लगती है उसके कई प्रकार भी होते हैं। हम काजू की खेती कई प्रकार के पौधों के साथ कर सकते हैं जिनके बारे में हम आपको आगे बताने जा रहे हैं। दोस्तों काजू के कुछ खास किस्मों को हमने आपके लिए इसकी जानकारी इकट्ठा की है जो निम्नलिखित प्रकार से हैं।
1 - BPP - 1
इस प्रकार का काजू का पौधा एक बार लगने पर 25 वर्ष तक काजू की पैदावार करता है और यह पौधा 1 वर्ष में लगभग 15 किलो तब के काजू का पैदावार करता है।
2 - BPP - 2
काजू के पौधे की इस किस्म में काजू के पौधे से 1 वर्ष में लगभग 20 किलोग्राम काजू प्राप्त किया जाता है और इसमें लगभग 26 प्रतिशत तक छलका पाया जाता है।
3 - वेगुरुला
काजू की किस्म का यह पौधा लगभग 20 से 30 वर्ष तक काजू की पैदावार देता है और इसमें प्रतिवर्ष लगभग 23 से 25 किलो काजू प्राप्त होता है। काजू की इस प्रकार के खेती को पश्चिमी समुद्री तटों पर किया जाता है।
4 - गोआ
काजू की किस्म का यह प्रकार हमें खेती करने के बाद लगभग 25 किलो प्रति वर्ष काजू देता है ,वही इसमें 25 से 30 किलो तक छिलका प्राप्त होता है। इसे भी पश्चिमी समुद्र तटीय इलाकों में उगाया जाता है।
5 - VRI
काजू के इस प्रकार के किस्म से हमें लगभग 25 किलो काजू प्राप्त होता है। इस काजू को तमिलनाडु में उगाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि इसे तमिलनाडु के एक कृषि विश्वविद्यालय में सबसे पहले उगाया गया था। अमूमन इस प्रकार के किस्म की खेती तमिलनाडु में देखने को मिलती है लेकिन ऐसा नहीं है की इसकी खेती सिर्फ तमिलनाडु में ही होती है आप तमिलनाडु के अलावा इसकी खेती अन्य राज्यों में भी कर सकते हैं।
कैसे करें काजू की खेती -
दोस्तों काजू की खेती की बात करें तो सामान्य तापमान वाली जगह पर काजू की खेती को करना अच्छा माना गया है। काजू की खेती उष्णकटिबंधीय तापमान वाले जगह पर की जाती है क्योंकि इसकी खेती ब्राजील में की गई थी और वहां की जलवायु काजू की खेती के लिए बेहद ही उपयुक्त साबित हुए।
इसके बाद उसके ही वातावरण और जलवायु को ध्यान में रखकर भारत में भी ऐसी जगहों पर ही काजू की खेती की गई जहां पर ना ज्यादा सर्दी हो ना गर्मी हो। भारत में समुंद्री जगह से लगभग 750 मीटर दूर ऊंचाई पर समुंद्र तटकी इतनी ऊंचाई पर काजू की खेती करना आपके लिए लाभकारी हो सकता है।
क्योंकि ज्यादा नमी काजू की खेती को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उसके फलों को खराब करने में वातावरण में नमी का होना माना जाता है। यही नहीं काजू की खेती करते समय आपको ज्यादा ठंड या फिर ओलावृष्टि ना हो इसका भी ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि ओलावृष्टि यानी की बर्फ का गिरना काजू की खेती के लिए बेहद ही नुकसान देय है और हमारी मेहनत से लगाई गई काजू के पौधे मिनट में खराब हो सकते हैं।
तो आपको बता दें कि सामान्य तापमान वाली जगह पर काजू की खेती को करना सबसे उपयुक्त माना गया है। इसीलिए तो गोवा जैसी जगह पर काजू की खेती बहुत अच्छे से होती हैं इसलिए अगर आप काजू की खेती का व्यवसाय कर रहे हैं तो इसके लिए आप जलवायु तापमान का ध्यान देकर ही खेती के लिए जमीन का चुनाव करें।
क्योंकि गलत जमीन पर की गई आप की खेती काजू के फसल को पूरी तरीके से बर्बाद करने के लिए काफी है। इसलिए आप जब भी काजू की खेती करें तो उसकी उपयुक्त मिट्टी और सामान्य तापमान वाले जलवायु ना ज्यादा ठंडी ना ज्यादा गर्मी और ना ही बर्फीली जगह का चुनाव करें इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर आप अपने काजू की खेती को सफलतापूर्वक कर पाएंगे।
काजू की खेती की जोताई और पौधरोपण कैसे करें -
1 - खेत की जुताई -
दोस्तों काजू की खेती में सबसे पहले हमें खेत की जुताई करनी पड़ती है जिससे उस खेत पर इससे पहले हुई खेती के सभी अवशेष बाहर आ जाएं और मिट्टी समतल हो जाए जिससे हमारी काजू की खेती आसानी से हो पाए।
2 - पंक्तियां बनाना -
खेतों में मिट्टी की जुताई करने के बाद हमें काजू की पौधे या बीज लगाने के लिए उपयुक्त दूरी पर पंक्तियां बनानी पड़ती हैं। काजू की खेती के लिए हमें एक से दूसरी पंक्ति के बीच लगभग 4 मीटर की दूरी रखने होते हैं।
3 - खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी में खाद को बनाना -
खेतों में अच्छी तरीके से पंक्तियां बनाने के बाद मिट्टी में गोबर के खाद को अच्छी तरीके से मिला दें जिससे मिट्टी खेती योग्य हो पाए। इसके अलावा इसमें कुछ रासायनिक खाद भी मिलाकर मिट्टी को काजू की खेती के लिए उपयुक्त बनाया जाता है और मिट्टी में अच्छे से मिलाया जाता है।
4 - सिंचाई करना -
दोस्तों मिट्टी में खाद मिलाने के बाद मिट्टी खेती के लिए उपयुक्त हो जाती है इसके बाद हमें मिट्टी में सिंचाई करनी होती है। जिससे हमारा पौधा या बीज मिट्टी में अच्छी तरीके से उपजाऊ हो पाएंगे इसलिए ऊपर दी हुई प्रक्रियाओं के बाद हमें मिट्टी की सिंचाई अच्छी तरीके से करनी होती है।
5 - पौधे या बीज लगाना -
ऊपर दिए हुए सभी प्रक्रियाओं को करने के बाद हमारी मिट्टी काजू की खेती के लिए तैयार हो गई होती है। अब आप चाहें तो इन गड्ढों में काजू के पौधे की कलम को छीलकर लगा सकते हैं या फिर आप काजू के बीज को भी डालकर खेती कर सकते हैं। हालांकि बीज के साथ की गई खेती में 4 से 7 साल का समय काजू की खेती को करने में लग जाता है जो काफी लंबा वक्त है इसलिए आप पौधे लगाकर काजू की खेती आराम से कर सकते हैं।
काजू की खेती में पौधरोपण तरीका एवं समय -
दोस्तों काजू के पौधे को लगाने से पहले हमें उसके लिए गड्ढे करने होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि आप तुरंत गड्ढे कर कर उसमें तुरंत काजू के पौधे लगा सकते हैं। दोस्तों काजू के पौधे को लगाने के लिए हमें खेत में गड्ढे 1 महीने पहले से ही करने होते हैं जिससे कि उसमें पहले से प्रयुक्त ऐसे अवशेष जो हमारे काजू की खेती को खराब कर सकते हैं।
उन्हें निकाला जाए इसीलिए पौधे लगाने से 1 महीने पहले ही खेतों में गड्ढे किए जाते हैं उस की निराई गुड़ाई की जाती है और खराब अवशेषों को बाहर निकाल लिया जाता है। फिर उन गड्ढों में एक छोटा सा गड्ढा करके उसमें काजू का पौधा लगाकर उसे अच्छे से ढक दिया जाता है ताकि पौधे आसानी से फल देने के लिए तैयार हो पाए।
दोस्तों अगर काजू के पौधरोपण के सही समय की बात करें तो आप बारिश के मौसम में इसकी रोपाई कर सकते हैं। दोस्तों काजू के पौधे की रोपाई बारिश के मौसम में करना आपके लिए उपयुक्त होता है क्योंकि शुरुआती दौर में पड़ने वाले पानी और सिंचाई की जरूरत बारिश के पहले मौसम में हुई बारिश ही भरपूर मात्रा में पूरा कर देती है।
काजू कि खेती में उर्वरक और सिंचाई -
काजू की खेती के लिए मिट्टी का अच्छी तरीके से पोषित होना बहुत जरूरी होता है। इसलिए खेत में काजू की खेती के लिए किए गए गड्ढों में गोबर डालकर छोड़ देना चाहिए। वही मिट्टी में आधा किलो एनपीके की मात्रा को भी मिलाकर 1 महीने पहले से छोड़ देना चाहिए।
क्योंकि काजू की खेती के लिए मिट्टी को उपयुक्त पोषक तत्व मिलने के लिए 1 महीने का वक्त लगता है। इन सभी प्रक्रियाओं को करने के बाद काजू की खेती की सिंचाई की बात करें तो यूं तो बारिश के मौसम में इसकी सिंचाई प्रारंभिक तौर पर अच्छे से हो जाती है।
लेकिन ठंड के मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल पर खेतों में सिंचाई करते रहना चाहिए। वही गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिन के अंतराल पर काजू की खेती के लिए सिंचाई करते रहना चाहिए और जब पौधों में फल आने लगे तो खेतों में नमी की मात्रा को कम कर देना चाहिए जिससे फूलों के झड़ने का खतरा ना रहे।
काजू कि खेती में खरपतवार नियंत्रण -
दोस्तों अगर आपको जानकारी ना हो तो बता दें कि खेतों में खरपतवार नियंत्रण करने से पौधों में अच्छे से वृद्धि होती है खेतों में समय-समय पर कटाई छंटाई या फिर निराई गुड़ाई करते रहने से खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती हैं।
वही निराई गुड़ाई करते रहने से खेतों में खेती को नुकसान पहुंचाने वाले अवशेष को आसानी से निकाला जा सकता है जिससे खेतों को नुकसान ना हो। क्योंकि काजू की खेती के लिए निराई गुड़ाई और खेती के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए एक महीने पहले से ही जोताई होना शुरू हो जाता है और निराई गुड़ाई कर के खेतों में खराब अवशेषों को निकालना आसान हो जाता है।
क्योंकि काजू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी को एक दो महीने से ही पहले ही तैयार करना होता है इसलिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहने से खेत में खरपतवार नियंत्रण होता है और ऐसे अवशेष जो खेती के लिए उपयुक्त नहीं हैं उन्हें हटा दिया जाता है और खेत आराम से खेती के लिए उपयोग हो जाता है।
इसलिए खेतों में मिट्टी की समय-समय पर निराई गुड़ाई होते रहने से खेत में खरपतवार नियंत्रण बना रहता है। यही नहीं दोस्तों काजू की खेती करने पर पौधे लगाने के शुरुआती दौर के एक से डेढ़ महीने बाद खेतों में निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए और खरपतवार दिखाई देने पर उसे हटा देना चाहिए यही प्रक्रिया बार-बार सावधानी से अपनाते रहना चाहिए। जिससे खेतों में खरपतवार नियंत्रण बना रहे।
खेतों में समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहने से हमें खरपतवार के उपस्थिति होने का पता चल जाता है क्योंकि यह हमारे खेती के लिए नुकसानदेह हैं। इसीलिए निराई गुड़ाई कर इसे हटा दिया जाता है और समय-समय पर खरपतवार से हमारी खेती को सुरक्षा भी मिलती है और खरपतवार का नियंत्रण भी समय समय पर होता रहता है।
काजू के खेत में लगने वाले रोग -
दोस्तों काजू की खेती दिखने में जितनी आसान लगती है उतनी होती नहीं है। क्योंकि खेती के दौरान काजू के पौधों में विभिन्न प्रकार के रोग एवं कीड़े भी लग जाते हैं जिससे बहुत सारी खेती को नुकसान पहुंचता है। इसलिए दोस्तों अगर आप काजू की खेती कर रहे हैं या फिर करने के बारे में सोच रहे हैं तो निम्नलिखित रोग एवं कीड़ों के बारे में जानकारी रखना अति आवश्यक है।
1 - स्टेम बोरर रोग -
दोस्तों स्टेम बोरर रोग काजू की खेती के लिए बहुत ही नुकसान देय हैं यह काजू के पौधों के तनो को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इसमें स्टेम बोरर का लारवा काजू के तने को अंदर से खोखला कर देता है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए आपको अपने काजू के पौधों और उनके तनो पर कोई छिद्र दिखाई दे तो इसे जल्द ही चिकनी मिट्टी से बंद कर दें या फिर केरोसिन (मिट्टी का तेल) रुई में लगाकर उन छिद्रों पर लगा दें। जिससे कि इसका लारवा अंदर ही कीटाणु मर जाएं और हमारे पौधे सुरक्षित हो जाएं।
2 - टी मास्किटो बग कीट रोग -
काजू की खेती के लिए इस प्रकार का रोग पौधों के लिए बड़ी समस्या पैदा करता है क्योंकि यह रोग पौधों के पत्तों पर होता है जिससे पत्ते खराब होने पर पौधे आगे बढ़ नहीं पाते हैं। इस रोग में कीटाणु पौधों के कोमल जगहों पर हमला करते हैं और उन्हें खाकर नष्ट कर देते हैं जिससे पत्ते और पौधे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए आपको मोनोक्रोटोफॉस रसायन का उचित मात्रा में पौधों पर छिड़काव करते रहना चाहिए जिससे यह कीटाणु पौधों पर ना लगे और लगे भी तो इससे मर जाएं और हमारे पौधे सही सलामत रहे।
3 - लीफ माइनर रोग -
काजू की खेती में पौधों को नुकसान पहुंचाने के लिए यह रोग भी बेहद ही नुकसान देय हैं। यह भी पौधों के पत्तों को ही नुकसान पहुंचाता है। इस रोग में कीटाणु पौधों की कोमल पत्तियों का रस चूस लेते हैं वही पौधों पर सफेद धारियां दिखाई देने लगती हैं।
जिससे कुछ समय बाद पत्ते पीले पड़ जाते हैं और खराब होने पर पेड़ से झड़ कर नीचे गिर जाते हैं। जिससे हमारे पौधों को बढ़ने में काफी नुकसान होता है इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर डुरिवो मिश्रण का छिड़काव करने से इस रोग से बचा जा सकता है।
4 - शूट कैटरपिलर कीट रोग -
काजू की खेती करते समय पौधों पर सूट कैटरपिलर कीट का लारवा पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है और पौधों की वृद्धि को रोक देता है। इस रोग में आपको काजू के पौधों पर पत्तों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं जो समय के साथ साथ बढ़ता जाता है और पत्ते खराब हो जाने पर पेड़ से टूट कर गिर जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए आपको अपने काजू के पौधों पर नीम के तेल का छिड़काव समय-समय पर करते रहना अच्छा होता है।
काजू की खेती से उत्पादन से होने वाली कमाई -
दोस्तों अगर हम काजू उत्पादन से होने वाली कमाई के बारे में बात करें तो इस लिहाज से यह बिजनेस एक बहुत ही बेहतरीन बिजनेस प्लान है। दोस्तों वर्तमान में लोगों के ड्राई फ्रूट्स खरीदने की डिमांड को देखा जाए तो हमारे लिए काजू की खेती करना मिट्टी में से सोना उगाने जैसा व्यवसाय होगा।
क्योंकि आजकल हर इंसान अपने खान-पान में और अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए काजू का सेवन अपने लिए लाभकारी मानता है और उसे अपने रोजाना के डाइट में शामिल भी कर रहा है। इसलिए अगर हम वर्तमान में काजू की खेती करने के लिए सोचें और उस पर से कमाल की बात है कि आप पहले से ही एक किसान हैं तो आपके लिए काजू की खेती करना आसान हो जाएगा।
आप काजू की खेती करके लाखों के इन्वेस्टमेंट के साथ करोड़ों का प्रॉफिट कमा सकते हैं , क्योंकि ड्राई फ्रूट्स में सबसे महंगा काजू ही है जो महंगे दाम पर बाजार में बिकता है और लोग उसे खरीदते ही हैं। मसलन वर्तमान में काजू 700 से ₹800 प्रति किलो बेचे जा रहे हैं इस हिसाब से आप अनुमान लगा सकते हैं कि काजू की खेती करने में आपका कितना इन्वेस्टमेंट होगा और एक होलसेलर को अपने लागत और मुनाफे के साथ काजू बेचने पर आपको कितना लाभ मिल सकता है।
लेकिन यह बात तो तय है कि काजू की खेती करके आप थोड़े से पेशेंट के साथ लखपति से करोड़पति काजू की खेती का बिजनेस करके आराम से बन पाएंगे। दोस्तों आप चाहें तो सिर्फ काजू की खेती ही नहीं आप खुद भी इसका अन्य तरीके से बिजनेस करके लाखों-करोड़ों कमा सकते हैं। क्योंकि काजू की खेती में कम से कम 3 से 4 साल का समय लगता है इसलिए अगर आप चाहें तो काजू की खेती के साथ-साथ उसमें अन्य सब्जियों को ऊगा कर भी अपनी कमाई तब तक कर सकते हैं।
इसलिए काजू की खेती का सौदा आपके लिए हमेशा फायदे का सौदा ही साबित होगा और आपके लिए खुद तो आपको मुनाफा कमा कर देगा ही इसके अलावा भी अगर आप किसी अन्य प्रकार की खेती कर रहे हैं तो आपको उससे भी पैसे कमाने का मौका दे सकता है।
क्योंकि काजू की खेती के लिए पौधे जिस दूरी पर लगाए जाते हैं उस दूरी के बीच में आप किसी अन्य सब्जी या फल को उगा कर काजू के खेती को पूर्ण होने के समय के अंतराल के बीच में उन चीजों से भी पैसे कमा सकते हैं। इसलिए काजू की खेती करने का आपका निर्णय आपको आपकी कमाई के अन्य साधन भी प्रदान करता है।
निष्कर्ष -
दोस्तों वर्तमान समय में आप काजू बिज़नेस प्लान पर काम करके अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। ऐसे में अगर काजू का खेती किया जाए तो आपको प्रॉफिट हो सकता है और देखा जाए तो काजू की खेती बहुत महत्वपूर्ण खेती है और आजकल के कल्चर को देखते हुए हमारे सेहत के लिए भी बहुत उपयोगी है।
हालांकि इसका होलसेल बिजनेस भी बहुत तेजी से मार्केट में अपनी बढ़त बना रहा है अब कोई भी त्यौहार बिना ड्राई फ्रूट्स के अधूरा है और उसमें भी काजू लोगों को सबसे ज्यादा भाता है और यही वजह है कि काजू की मार्केट भी काफी तेजी से बढ़ रही है और हर तरह की मिठाई मे काजू का प्रयोग किया जाता है। और इसके साथ ही लोग अपनी रोज की डाइट मे भी काजू का इस्तेमाल करते है।
ऐसे मे आप यदि काजू का बिजनेस करके उसका बिजनेस करना चाहते है तो कर सकते है। दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने आपको काजू की खेती बिजनेस प्लान होलसेल काजू बिजनेस एवं काजू से संबंधित अन्य सभी तरह बिजनेस प्लान के बारे में की जानकारी देने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हमारा कोई आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा ऐसे ही ज्ञानवर्धक आर्टिकल को पढ़ने हेतु जुड़े रहिए हमारे साथ धन्यवाद।